झारखंड: खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे सिमडेगा जिले के बच्चे, नक्सलियों की वजह से छिप गया था हुनर

Jharkhand: भेलवाडीह गांव के बच्चे खेलों में काफी दिलचस्पी लेते हैं। लेकिन खेल के क्षेत्र में आगे कैसे बढ़ा जाए, ये उन्हें नहीं पता है।

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Jharkhand: भेलवाडीह गांव के बच्चे खेलों में काफी दिलचस्पी लेते हैं। लेकिन खेल के क्षेत्र में आगे कैसे बढ़ा जाए, ये उन्हें नहीं पता है। यानी ना ही उन्हें कोई जागरुक करने वाला है और ना ही नेतृत्व करने वाला।

झारखंड (Jharkhand) का सिमगेडा जिला एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र है लेकिन अब यहां पहले की अपेक्षा कुछ सुधार हुआ है। यहां के पाकरताड़ प्रखंड के भेलवाडीह जैसे कई गांव तो ऐसे थे, जहां लोग नक्सलियों के डर की वजह से दिन में भी जाने से परहेज करते थे। हालांकि अब यहां शांति का माहौल है।

भेलवाडीह गांव के बच्चे खेलों में काफी दिलचस्पी लेते हैं। लेकिन खेल के क्षेत्र में आगे कैसे बढ़ा जाए, ये उन्हें नहीं पता है। यानी ना ही उन्हें कोई जागरुक करने वाला है और ना ही नेतृत्व करने वाला। इसी वजह से बच्चों की प्रतिभा केवल गांव तक ही सीमित रह गई है।

हालांकि अब इसी गांव की एक लड़की और पूर्व एथलीट उर्मिला सोरेंग ने इन बच्चों की प्रतिभा को एक नया मंच देने की पहल की है। उर्मिला लॉकडाउन और कोरोना की वजह से गांव में हैं।

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उर्मिला ने गांव के खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए हॉकी सिमगेडा के महासचिव मनोज कोनबेगी को न्यौता दिया। मनोज कोनबेगी ने भी मौके पर पहुंचकर बच्चों का प्रोत्साहित किया और उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाई। इस दौरान मनोज के साथ तीरंदाजी के कोच राजू मांझी भी मौजूद थे।

मनोज ने खिलाड़ियों की समस्याएं सुनीं और मैदान समतलीकरण जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने खुद भी खिलाड़ियों की मदद करने की बात कही। उन्होंने खिलाड़ियों से कहा कि आत्मनिर्भर बनें और खुद ही मैदान का समतलीकरण करें।

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