छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा में बह रही विकास की बयार, नक्सली प्रभाव को कम करने के लिए सुरक्षाबलों को मिली ये सौगात

कंक्रीट के पुल के निर्माण में बहुत समय लगता है। इस बीच नक्सली निर्माण में बाधा पहुंचाने की कोशिश करते रहते हैं। स्टील के पुलिया में पहले से तैयार लोहे के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ना भर होता है।

Naxals Affected Area

छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में विकास कार्यों में नक्सलियों (Naxals) के अवरोध से बचने के लिए फटाफट तैयार होने वाले स्टील के पुलिया बनाए जा रहे हैं। ये कंक्रीट के पुल से मजबूत तो होते ही हैं, 10 दिन में बनकर भी तैयार हो जाते हैं।

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जिला अधिकारियों के मुताबिक, कंक्रीट के पुल के निर्माण में बहुत समय लगता है। इस बीच नक्सली निर्माण में बाधा पहुंचाने की कोशिश करते रहते हैं। स्टील के पुलिया में पहले से तैयार लोहे के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ना भर होता है। इसलिए कम समय लगता है। इससे सुरक्षा को लेकर भी ज्यादा चिंता नहीं करनी पड़ती। जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों के गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए 45-45 लाख की लागत से सात पुलिया बनाए जा रहे हैं, जिनकी भार वाहन क्षमता 70 टन तक है।

दंतेवाड़ा में पहली बार सात स्टील के पुलिया बनाए जा रहे हैं। इससे नक्सल इलाकों में सुरक्षाबलों की पहुंच सुलभ हो जाएगी। कुआकोंडा ब्लाक के पुजारीपारा को मुख्य मार्ग से जोड़ने और कुआकोंडा में हितावर गांव को बचेली जाने वाले मार्ग से जोड़ने के लिए स्टील का पुलिया बनाया जा रहा है।

वहीं तीसरा स्टील का पुलिया कटेकल्याण ब्लाक में बनाया जाएगा। माथड़ी जाने वाले रास्ते में डुमाम नाले पर नदीकोंटापारा को जोड़ने के लिए चौथा, दूधिरास में पांचवां और दंतेवाड़ा ब्लाक के कासोली के लिए छठवां पुलिया स्वीकृत हुआ है। जबकि सातवां पुलिया गीदम ब्लाक के हिड़पाल में बन रहा है।

दूसरी तरफ स्थानीय लोगों का मानना है कि जिन क्षेत्रों में नक्सली (Naxals) सालों से सड़क व पुलिया नहीं बनने दे रहे हैं, वहां भी स्टील का पुलिया बनाया जाना चाहिए। इनमें रेवाली में, बुरगुम के मलगेर नाला और बर्रेम शामिल हैं। यहां सालों से पुल की जरूरत है। पुल के अभाव में ये तीनों अहम रास्ते बंद पड़े हैं। बरसात के दिनों में मलगेर नाले में पानी भरने के बाद लोगों को आवागमन में काफी परेशानी होती है।

दंतेवाड़ा पीडब्ल्यूडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जोसफ थामस के अनुसार, ये पुलिया जहां बनाए जाने हैं, वहां नक्सलियों (Naxals) की काफी दखल है। रास्ता सुगम नहीं होने से सुरक्षाबल वहां आसानी से नहीं पहुंच पाती। लेकिन इस पुलिया के बन जाने से जवानों की पहुंच रिमोट एरिया तक बढ़ जाएगी। इतना ही नहीं, इससे बारिश में लोगों का आवागमन भी आसान हो सकेगा।

अधिकारी के अनुसार, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पहली बार स्टील के सात पुलिया बनाए जा रहे हैं। जल्द ही ये बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद और जगहों पर भी ऐसे पुलिया बनाए जाएंगे।

 

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