नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में जिले का पहला लोहे का पुल बनकर तैयार
नक्सल इलाकों (Naxal Area) में पुलों के अभाव में संपर्क की समस्या रहती है। विकास के बाकी कार्यों में भी मुश्किल आती है । नक्सली (Naxalites) इसका फायदा उठाते हैं।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का धुर नक्सल प्रभावित (Naxal Area) दंतेवाड़ा (Dantewada) जिला विकास की राह पर लगातार आगे बढ़ रहा है। जिले का पहला लोहे का पुल कुआकोंडा में बनकर तैयार हो गया है। सत्तर टन क्षमता का यह पुल महज 15 दिन में तैयार किया गया है। जिले में ऐसे सात पुल और बनाने की तैयारी है।
इन पुलों की लागत 40 से 45 लाख रुपये है। बारिश के बाद कुआकोंडा ब्लॉक के पुजारीपार, हितावर, कटेकल्याण, गीदम और दंतेवाड़ा ब्लॉक में भी लोहे के पुल बनाने की तैयारी है। बर्रेम में मलगेर नाले, टिकनपाल, मुंडरापारा, पखनाचूहा के कानकीपारा मार्ग पर भी लोहे के पुल के निर्माण की मांग ग्रामीणों कर रहे हैं।
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बता दें कि नक्सल इलाकों (Naxal Area) में पुलों के अभाव में संपर्क की समस्या रहती है। विकास के बाकी कार्यों में भी मुश्किल आती है । नक्सली इसका फायदा उठाते हैं। इसलिए वे पुल और सड़कों के निर्माण में रोड़ा अटकाते हैं। लोहे के पुलों के बन जाने से उन्हें इसे नुकसान पहुंचाने का मौका नहीं मिलेगा।
नक्सल इलाकों में पुल और सड़क का निर्माण प्रशासन के लिए हमेशा चुनौती रहा है, क्योंकि इसके निर्माण में काफी समय लग जाता है। नक्सली नहीं चाहते कि फोर्स की पहुंच उनके इलाके में हो। इसलिए वे पुल अथवा सड़क के निर्माण में बाधा पहुंचाते हैं।
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मजदूरों से मारपीट, अपहरण, निर्माण में लगे वाहनों को आग लगाने जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं। ऐसे में जिला प्रशासन ने लोहे के पुल बनाने का विकल्प तैयार किया है। नक्सल क्षेत्रों में फोर्स की पहुंच को आसान बनाने और स्थानीय लोगों को आवागमन की सुविधा देने के लिए जिला प्रशासन की ओर से यह पहल की गई है।
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