World Water Day 2021: दुनियाभर में बढ़ रहा जल संकट, भारत भी नहीं है अछूता

World Water Day 2021: आज विश्व जल दिवस है। पानी की बर्बादी और अपव्यय को रोकने के लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है।

World Water Day 2021

World Water Day 2021

विश्व जल दिवस 2021 (World Water Day 2021) को लेकर जारी रिपोर्ट्स में संयुक्त राष्ट्र, ब्लूमबर्ग और वॉटरएड ने अलग-अलग देशों की कई रिपोर्ट्स जारी की हैं।

World Water Day 2021: आज विश्व जल दिवस है। पानी की बर्बादी और अपव्यय को रोकने के लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है। इस दिन जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जल संकट को लेकर समाज में जागरुकता लाने के लिए दुनिया भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

हर साल विश्व जल दिवस को एक थीम (Theme) के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम- ‘वेल्यूइंग वॉटर’ है, जिसका मकसद लोगों को पानी का महत्व समझाना है। विश्व जल दिवस 2021 (World Water Day 2021) को लेकर जारी रिपोर्ट्स में संयुक्त राष्ट्र, ब्लूमबर्ग और वॉटरएड ने अलग-अलग देशों की कई रिपोर्ट्स जारी की हैं।

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इन रिपोर्ट्स में चिंता जताई गई है कि अगर हम समय रहते हुए नहीं चेते और हमने पानी की व्यर्थ बर्बादी नहीं रोकी तो ऐसी ही स्थिति हमारी भी हो सकती है। पानी हमारी पहुंच से दूर होता जाएगा। आज भी दुनिया में ऐसी जगहें हैं जहां पानी के लिए लोगों को अपनी आय का 50 फीसदी तक का हिस्सा खर्च करना पड़ता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, पापुआ न्यू गिनी के लोग अपनी वार्षिक आय का करीब 54 फीसदी हिस्सा पानी पर खर्च करने को मजबूर हैं। क्योंकि वहां पेयजल की उपलब्धता अत्यंत कम है। वहीं, मेडागास्कर में यह स्थिति 45 फीसदी है तो इथोपिया के लोगों को पानी पर आय का 40 फीसदी हिस्सा खर्च करना पड़ता है।

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वहीं, गरीब देशों में शुमार कंबोडिया और घाना के लोग क्रमश: करीब 28 फीसदी और 25 फीसदी हिस्सा पानी पर खर्च करते हैं। वहीं, अमेरिका की बात करें तो वहां आय का महज एक फीसदी हिस्सा ही पानी पर खर्च होता है। इन रिपोर्ट से स्पष्ट है कि गरीब देशों में पानी पर आय का अधिक हिस्सा खर्च होता है। 

ऐसा नहीं है कि पानी सिर्फ गरीब देशों में महंगा है। वैश्विक महाशक्ति अमेरिका भी इससे अछूता नहीं है। अमेरिका में बीते एक दशक में पानी के दाम करीब 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं। यहां सालाना एक परिवार पानी पर करीब 60 हजार रुपए खर्च करता है। कैलिफोर्निया में लोगों को 60 हजार गैलन पानी के लिए करीब 82 हजार रुपए प्रति माह चुकाने पड़ते हैं।

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वहीं, दक्षिण अफ्रीका के 60 फीसदी घरों में पेयजल की नियमित आपूर्ति तक नहीं होती। यहां 60 फीसदी घरों में हर 2-3 दिन में एक बार जलापूर्ति की जाती है। जबकि इथोपिया में पानी की होम डिलीवरी के लिए 10 गुना अधिक भुगतान करना पड़ता है। भविष्य की बात करें तो अगले चार साल यानी 2025 तक बोतलबंद पानी का कारोबार करीब 22 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच जाने का अनुमान है।

नॉर्वे के ओस्लो में बोतलबंद पानी दुनिया में सबसे महंगा है। यहां पानी पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण दुनिया के 120 शहरों से करीब तीन गुना महंगा है। इसके बाद तेल अवीव, न्यूयॉर्क, स्टोकहोम, हेलसिंकी, लॉस एंजिलिस, फीनिक्स और सैन फ्रांस्सिको है।

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इनके अपेक्षा फिलहाल भारत की स्थिति बेहतर है, लेकिन भविष्य के लिए चिंता का सबब भी है। भारतीय लोग अपनी आय का मात्र छह फीसदी हिस्सा पानी पर खर्च करते हैं। एशियाई विकास बैंक के अनुसार, भारत में 2030 तक 50% पानी की कमी होगी। वहीं, नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, इतिहास में अपने सबसे खराब जल संकट का सामना कर रहा है।

गर्मियों में नल सूख गए हैं , जिससे अभूतपूर्व जल संकट पैदा हो गया है। पानी की वार्षिक प्रति व्यक्ति उपलब्धता 1951 में लगभग 5,177 क्यूबिक मीटर से घटकर 2019 में लगभग 1,720 क्यूबिक मीटर रह गई है।

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दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद सहित 21 शहरों में भूजल का स्तर बहुत नीचे आ गया है, जिससे 10करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। सुरक्षित पानी की अपर्याप्त पहुंच के कारण हर साल लगभग दो लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा लगभग तीन-चौथाई घरों में पीने का पानी नहीं पहुंचता है और लगभग 70 प्रतिशत पानी दूषित होता है।

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