देश की पहली महिला IPS जिसे सौंपी गई किसी मुख्यमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी

किसी मुख्यमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा उठाना आसान नहीं है, वह भी असम जैसे संवेदनशील राज्य में, जो लॉ एंड ऑर्डर, मिलिटेंट्स, सांप्रदायिक तनाव, स्मगलिंग, जानवरों का अवैध शिकार और ड्रग्स जैसी समस्याओं से जूझ रहा हो।

IPS Subashini Sankaran

IPS Subashini Sankaran

सुभाषिनी (IPS Subashini Sankaran) दिन के 15 से 18 घंटे काम करती हैं। हां, जब वक्त मिलता है, तो बायोग्राफीज पढ़ती हैं। उन्हें जैज और फोक म्यूजिक सुनना पसंद है।

किसी मुख्यमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा उठाना आसान नहीं है, वह भी असम जैसे संवेदनशील राज्य में, जो लॉ एंड ऑर्डर, मिलिटेंट्स, सांप्रदायिक तनाव, स्मगलिंग, जानवरों का अवैध शिकार और ड्रग्स जैसी समस्याओं से जूझ रहा हो। ऐसी ड्यूटी जिसमें गलती की जरा सी भी गुंजाइश नहीं है और हमारे जैसे स्टीरियोटाइप सोसाइटी के लिए एक महिला को यह जिम्मेदारी देना और भी बड़ी बात है।

लेकिन इस स्टीरियोटाइप को तोड़ा है सुभाषिनी शंकरन (IPS Subashini Sankaran) ने। ब्लैक ट्राउजर, व्हाइट शर्ट और ब्लैक ब्लेजर में जब वह लोगों के सामने आती हैं, तो लोग उन्हें वकील समझ लेते हैं। पर वह कोई वकील नहीं बल्कि एक आईपीएस ऑफिसर हैं। आजादी के बाद सुभाषिनी देश की पहली ऐसी महिला आईपीएस हैं जिन्हें एक मुख्यमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई।

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दरअसल, सुभाषिनी शंकरन को जुलाई, 2016 में असम के मुख्यमंत्री सरबानंद सोनवाल का सिक्योरिटी इंचार्ज बनाया गया। यह जिम्मेदारी मिलने से पहले शंकरन ने असम में अलग-अलग जगहों पर काम किया है। सबसे पहले उन्हें गुवाहाटी में बतौर एएसपी पोस्टिंग मिली थी। इसके बाद उन्होंने बिस्वनाथ, सिलचर और तेजपुर में एडिशनल एसपी के रूप में काम किया।

23 दिसंबर, 2014 को नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के एक किरच समूह ने सोनितपुर जिले में 30 आदिवासियों का नरसंहार किया था। स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए सुभाषिनी और उनकी टीम 20 मिनट में मौके पर पहुंच गई थी। स्थिति को संभाला और यह सुनिश्चित किया कि हालात बिगड़ने से पहले ही शवों को कब्जे में ले लिया जाए।

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सेना और अर्धसैनिक बलों द्वारा आतंकवादियों के सफाया के लिए ऑपरेशन ‘ऑल आउट’ शुरू किया गया था जो रात भर चलता था। जिसमें असम पुलिस ने भी भाग लिया, सुभाषिनी भी इसका हिस्सा थीं। इतना ही नहीं, बिस्वनाथ चाराली में रहते हुए, सुभाषिनी और उनकी टीम ने काजीरंगा के पास एक राइनो-पॉजिंग रिंग का भंडाफोड़ भी किया था।

सिलचर में पोस्टिंग के दौरान उन्हें बहुत ही संवेदनशील सांप्रदायिक स्थिति से निपटना पड़ा। 2016 में असम विधानसभा चुनावों के दौरान, उन्हें पुलिस अधीक्षक के रूप में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए हैलाकांडी जिले में भेजा गया था। अपने पिछले सभी कार्यकाल के दौरान विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए सुभाषिनी एक ऑफिसर के रूप में और परिपक्व हो गईं हैं।

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वह अच्छी तरह जानती हैं कि कहां बोलना है, कितना बोलना है और कब बोलना है। उनका मानना है, “तभी बोलो जब जरूरी हो, तभी एक्शन लो, जब जरूरी हो। हां, पर कानून के दायरे में  रहकर।” वह बताती हैं, “यह सबके लिए नई बात थी। एक लड़की का सीएम की सुरक्षा में लगी टीम को लीड करना सबके लिए अजीब था, लेकिन लोगों ने धीरे-धीरे इसे स्वीकार कर लिया।”

मुख्यमंत्री की सिक्योरिटी का काम आसान नहीं है। पहले पुलिस की टीम लोकेशन सिक्योर करना होता है, आसपास के इलाके की जांच करनी होती है, जहां सीएम को आना होता है, वहां की सेफ्टी सिक्योर करना होता है। सीएम के रूट की जानकारी होना, उनके पास के सुरक्षाकर्मियों के साथ कोऑर्डिनेट करना, उनके गार्ड्स को निर्देश देना, यह एक फुल टाइम जॉब है। सुभाषिनी ने इस मुश्किल जिम्मेदारी बखूबी निभाया।

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सुभाषिनी (IPS Subashini Sankaran) दिन के 15 से 18 घंटे काम करती हैं। हां, जब वक्त मिलता है, तो बायोग्राफीज पढ़ती हैं। उन्हें जैज और फोक म्यूजिक सुनना पसंद है। सुभाषिनी के परिवार में कोई भी पुलिस बैकग्राउंड से नहीं है। इसके बावजूद वह कई स्टीरियोटाइप्स तोड़ कर इस मुकाम पर पहुंची हैं। सुभाषिनी तमिलनाडु के तंजावुर की एक मिडिल क्लास फैमिली से हैं।

उनके नाना एम राजगोपालन ने 1950 में ‘मोटर इंडिया’ और ‘टेक्सटाइल मैगजीन’ नाम से दो मैगजीन शुरू किए थे, जो आज भी पब्लिश होती हैं। 1980 में सुभाषिनी के माता-पिता मुबंई आ गए। उनके पिता एक प्राइवेट फर्म में काम करते हैं और मां हाउसवाइफ हैं। उनकी स्कूलिंग मुंबई के ठाणे और कल्याण से हुई और सेंट जेवियर्स कॉलेज से सोसियोलॉजी में ग्रेजुएशन किया। वहां वह साल 2005-2006 की बेस्ट स्टूडेंट रहीं।

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आगे की पढ़ाई के लिए सुभाषिनी दिल्ली आ गईं। यहां उन्होंने जेएनयू से सोसियोलॉजी में ही मास्टर्स और एमफिल किया और यहीं रहकर यूपीएससी की तैयारी की। 2010 में उन्होंने यूपीएससी क्वालिफाई किया। जिसमें उनकी 243वीं रैंक थी। इसके बाद वह ट्रेनिंग के लिए सरदार बल्लभ भाई पुलिस एकेडमी हैदराबाद चली गईं और फिर लौट कर असम में बतौर आईपीएस अधिकारी अपनी ड्यूटी पर लग गईं।

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