Uttarakhand glacier burst
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने (Glacier Burst) के बाद बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य के लिए भारतीय सेना उतर गई है। सरकार ने भारतीय सेना से कहा है कि वह बचाव कार्यों में जिला प्रशासन और केंद्र-राज्य सरकार की आपदा राहत टीमों की मदद करें। इस बीच 7 लोगों की मौत हो गई है जबकि 170 से अधिक लापता है। सभी म-तकों का शव बरामद कर लिया गया। इस बीच मुख्यमंत्री ने मरने वालों के परिजनों को 4-4 लाख रूपये और 2-2 लाख रुपये प
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इसके अलावा भारतीय वायुसेना भी हर संभव मदद करने के लिए स्टैंडबाय मोड़ पर है। सैनिकों को धौलीगंगा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की ओर भेजा गया है, जहां ग्लेशियर टूटने (Glacier Burst) के बाद बड़े पैमाने पर आई बाढ़ ने तबाही मचा दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड की स्थिति की समीक्षा की है। उन्होंने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और अन्य शीर्ष अधिकारियों से बात कर बचाव और राहत कार्यो का जायजा लिया है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मैं उत्तराखंड की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को लेकर लगातार निगरानी कर रहा हूं। पूरा भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और वहां सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात कर रहे हैं और एनडीआरएफ की तैनाती, राहत और बचाव कार्यों का अपडेट ले रहे हैं।”
Am constantly monitoring the unfortunate situation in Uttarakhand. India stands with Uttarakhand and the nation prays for everyone’s safety there. Have been continuously speaking to senior authorities and getting updates on NDRF deployment, rescue work and relief operations.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 7, 2021
वहीं वायुसेना की एविएशन विंग को हवाई सर्वे करने और फंसे हुए लोगों को निकालने के काम में लगाया गया है। सेना के एक अधिकारी ने कहा, “एक एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर और दो चीता हेलीकॉप्टर फंसे हुए लोगों को निकाल रहे हैं।”
अधिकारी ने कहा कि सेना के लगभग 400 कर्मियों की 4 टुकड़ियां बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भेज दी गई हैं। भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारतीय वायु सेना के सी-130 और एएन-32 प्लेन का इस्तेमाल राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के कर्मियों को एयरलिफ्ट करने में किया जा रहा है।”
राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ट्विटर पर लिखा, “जिला प्रशासन, पुलिस और आपदा प्रबंधन विभागों को स्थिति से निपटने के लिए निर्देशित किया गया है। किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। राज्य सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है।”
गौरतलब है कि ये घटना जोशीमठ से 26 किमी दूर रेनी गांव के पास हुई है। इससे धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई है और नदी के किनारे के कई घर बह गए हैं। इससे पहले आईटीबीपी ने सुबह करीब 10 बजे कहा था कि बादल फटने या जलाशय टूटने के कारण धौलीगंगा में बाढ़ आई है।
बता दें कि यह नदी गंगा नदी की 6 स्रोत धाराओं में से एक है। 85 किमी लंबी यह नदी उत्तराखंड में जोशीमठ पर्वत के बेस विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है। खबरों में यह भी कहा गया था कि ग्लेशियर टूटने (Glacier Burst) के बाद ऋषि गंगा पनबिजली परियोजना में काम करने वाले कई मजदूरों के लापता होने की संभावना है।
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