FATF से पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका, मिली सिर्फ 4 महीने की मोहलत

आतंक की फंडिग पर निगरानी रखने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था FATF से पाकिस्तान को एक बार फिर बड़ा झटका लगा। पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाया।

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पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाया। FATF ने पाकिस्तान को 4 महीने का और समय दिया है।

आतंक की फंडिग पर निगरानी रखने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था FATF से पाकिस्तान को एक बार फिर बड़ा झटका लगा। पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाया। FATF ने पाकिस्तान को 4 महीने का और समय दिया है।

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FATF ने पाकिस्तान को 4 महीने का और समय दिया

आतंकवाद पर कार्रवाई पर पाकिस्तान के दावों पर उसके सबसे बड़े हिमायती चीन ने ही सवाल खड़े कर दिए। FATF की पेरिस में हुई बैठक के अध्यक्ष जियांगमिन लू ने कहा, ”हमने पाकिस्तान के टेरर फंडिंग, आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई में बहुत ही गंभीर कमजोरी पाई है। पाकिस्तान ने एक्शन प्लान में कुछ प्रगति की है लेकिन अधिकतर मानकों पर उसने कोई काम नहीं किया है।” इसके साथ ही FATF ने पाकिस्तान को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि टेरर फंडिंग और आतंकियों पर जल्दी कार्रवाई करे वरना वो पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने पर मजबूर हो जाएगा। बैठक में FATF ने पाकिस्तान को 27 में से 22 बिंदुओं पर फेल करार दिया है।

इसके साथ ही यह भी साफ कर दिया गया कि फरवरी 2020 तक यदि पाकिस्तान के प्रदर्शन में सुधार नहीं आया तो ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। FATF की बैठक में पाकिस्तान को दोबारा ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बाद यह फैसला हो गया कि अब उसके पास सिर्फ 4 महीने का समय बचा है। इन 4 महीनों में पाकिस्तान को 10 पैमानों पर न सिर्फ काम करना होगा बल्कि उसके सबूत पेश करने होंगे। पाकिस्तान को उन आतंकी गुटों पर कार्रवाई करनी होगी जिन्हें गैरकानूनी तरीके से फंडिंग मिल रही है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को ये भी बताना होगा कि टेरर फंडिंग रोकने के लिए उसकी वित्तीय संस्थाओं ने क्या कदम उठाए।

साथ ही पाकिस्तान को कैश की गैरकानूनी आवाजाही पर नियंत्रण करना होगा। इस बात के सबूत देने होंगे कि उसने आतंकियों तक फंड पहुंचने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। हालांकि पाकिस्तान को 15 महीने पहले जून, 2018 में भी ये कदम उठाने के लिए कहा गया था। पाकिस्तान को जब FATF ने ग्रे लिस्ट में डाला था उसके ठीक दो महीने बाद इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। सख्त कदम उठाने की जगह इमरान खान अर्थव्यवस्था और आतंकवाद पर सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करते रहे, लेकिन किया कुछ भी नहीं। नए पाकिस्तान का दावा करने वाले इमरान खान के सामने पुराने पाकिस्तान को बचाने की ही चुनौती खड़ी हो गई।

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