पाकिस्तान का FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना मुश्किल, अब तक नहीं किया इन शर्तों को पूरा

पाकिस्तान (Pakistan) का फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना मुश्किल लग रहा है। पाकिस्तान FATF की छह शर्तों पर खरा नहीं उतरा है।

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एफएटीएफ (FATF) ने पाकिस्तान को 27 दायित्व का एक्शन प्लान दिया था, जिसमें से पाकिस्तान 21 ही पूरा कर सका है। पाकिस्तान FATF की छह शर्तों पर खरा नहीं उतरा है।

पाकिस्तान (Pakistan) का फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना मुश्किल लग रहा है। पाकिस्तान FATF की छह शर्तों पर खरा नहीं उतरा है। इन छह शर्तों को पूरा न करने के कारण पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में ही बने रहने की संभावना बढ़ गई है। पाकिस्तान, भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद पर कार्रवाई न करने समेत एफएटीएफ के छह अहम दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहा है।

वहीं, आधिकारिक सूची से अचानक चार हजार आतंकियों का नाम गायब होने से भी उसकी मुसीबतें बढ़ी हैं। सूत्रों के अनुसार, एफएटीएफ की वर्चुअल मीटिंग 21 से 23 अक्तूबर को होगी, जिसमें पाकिस्तान को लेकर अंतिम फैसला होगा। अधिकारी के अनुसार, एफएटीएफ (FATF) ने पाकिस्तान को 27 दायित्व का एक्शन प्लान दिया था, जिसमें से पाक 21 ही पूरा कर सका है।

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वहीं, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी उसकी सरजमीं से चल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान से संतुष्ट नहीं हैं। अगर पाकिस्तान ग्रे सूची में बरकरार रहता है तो उसके लिए आईएमएफ, एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से वित्तीय सहायता मिलना मुश्किल होगा।

इसके साथ ही बैठक में यह भी देखा जाएगा कि क्या पाकिस्तानी अधिकारी अवैध धन और मूल्य हस्तांतरण सेवाओं के खिलाफ सहयोग कर रहा है या नहीं। इससे पहले, एफएटीएफ की बैठक जून में होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। बता दें कि पाकिस्तान से कहा गया था कि उसे जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर लश्कर के मुखिया हाफिज सईद और संगठन के ऑपरेशनल कमांडर जाकिर उर रहमान लखवी जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।

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मसूद अजहर, लखवी और हाफिज सईद भारत के मोस्ट वांटेड अपराधी हैं मगर पाकिस्तान की ओर से इन आतंकियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यदि पाकिस्तान ग्रे सूची में बना रहता है तो उसे आईएमएफ, एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से वित्तीय मदद पाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस समय काफी नाजुक है और ऐसे में उसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मदद की दरकार है मगर उसकी यह इच्छा पूरी होती नहीं दिख रही है। पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 39 देशों में से 12 के वोट की जरूरत पड़ेगी। वहीं, काली सूची से बचने के लिए उसे तीन देशों का समर्थन चाहिए होगा।

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हालांकि चीन, तुर्की और मलयेशिया के समर्थन के चलते वह इससे बच जाएगा। फिलहाल उत्तर कोरिया और ईरान एफएटीएफ (FATF) की काली सूची में शामिल हैं। गौरतलब है कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को साल 2018 में ग्रे सूची में डाल दिया था। उसके बाद से पाकिस्तान लगातार इस सूची से बाहर आने की कोशिश में लगा हुआ है।

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