Kandahar Hijack: अपने लोगों की जान बचाने के लिए आतंकियों को करना पड़ा रिहा, जानें क्या था मामला

कंधार हाईजैक (Kandahar Hijack) की घटना से हर कोई वाकिफ है। 24 दिसंबर, 1999 को काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़े विमान को IC 814 को हथियारबंद आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था।

Kandahar Hijack

Kandahar Hijack (File Photo)

कंधार हाईजैक (Kandahar Hijack) में आतंकियों से बातचीत की जिम्मेदारी NSA अजित डोभाल (Ajit Doval) को दी गई थी। उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उस दिन के हालातों का जिक्र किया था।

कंधार हाईजैक (Kandahar Hijack) की घटना से हर कोई वाकिफ है। 24 दिसंबर, 1999 को काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़े विमान को IC 814 को हथियारबंद आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था। शाम 5.30 बजे जैसे ही प्लेन भारतीय क्षेत्र में घुसा तुरंत आतंकवादी संगठन हरकत उल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों प्लेन को हाइजैक कर लिया।

इस विमान में 176 पैसेंजर्स के अलावा 15 क्रू मेंबर्स भी मौजूद थे। आतंकियों ने 176 पैसेजर्स और 15 क्रू मेंबर्स को कैद कर लिया था और इनकी जान बख्शने के ऐवज में तीन आतंकियों को रिहा कराया था।

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इस प्लेन हाइजेक के बदले भारत सरकार को तीन कुख्यात आतंकियों मसूद अजहर, उमर शेख और अहमद जरगर को छोड़ना पड़ा था। बता दें कि कंधार हाईजैक (Kandahar Hijack) में आतंकियों से बातचीत की जिम्मेदारी NSA अजित डोभाल (Ajit Doval) को दी गई थी। उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उस दिन के हालातों का जिक्र किया था।

दरअसल, आतंकियों से बातचीत करने के लिए सरकार ने क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप में अजित डोभाल (Ajit Doval) नहीं थे। वह उन दिनों IB के स्पेशल डायरेक्टर के पद पर तैनात थे। लेकिन उनके आंतकियों के साथ निपटने के उनके एक्सपिरिएंस को देखते हुए सरकार ने बंधकों को छुड़ाने की जिम्मेदारी अजित डोभाल को दी।

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अजित डोभाल (Ajit Doval) ने साल 2009 में एक न्यूज चैनल से बातचीत में इस घटना के बारे में बताया था। उन्होंने बताया था कि कंधार (Kandahar Hijack) की घटना एक विदेशी धरती पर थी। आतंकियों ने ऐसी जमीन को चुना था जहां से भारत के कोई राजनीतिक संबंध नहीं थे।

जहां पर आतंकी प्लेन के साथ मौजूद थे, वहां जाने के लिए हमें किसी देश की इजाजत लेनी पड़ती जोकि आसान काम नहीं था। उन्होंने बताया कि जब हम बातचीत के लिए जाने की कोशिश करने लगे तो पाकिस्तान ने हमें इसकी इजाजत नहीं दी थी। भारत का मकसद उस वक्त अपने लोगों को सही सलामत वापस वतन लाना था।

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उन्होंने बताया था कि भारत लड़ने की स्थिति में नहीं था, क्योंकि हमें सिर्फ जहाज के अंदर मौजूद चंद आतंकियों से नहीं लड़ना था, बल्कि उनको बाहर से सपोर्ट दे रहे पूरे तालिबानी सिस्टम से लड़ना पड़ता। इसके लिए हमें पूरे देश पर आक्रमण करना पड़ता और युद्ध जीतने के बाद अपने जहाज को छुड़ा पाते लेकिन ऐसी स्थिति में आतंकी जहाज को जरूर नुकसान पहुंचाते और अगर ऐसा होता हमारे लोगों की जान चली जाती।

डोभाल ने बताया कि आईएसआई के जरिए कंधार (Kandahar Hijack) में बैठे आतंकियों तक एक एक छोटी जानकारी मिल रही थी। उन्हें पता था कि मीडिया किस तरह से कवरेज कर रहा है। यात्रियों के परिजन कहां-कहां विरोध कर रहे हैं और यह विरोध किस तरह का है। ऐसे में आतंकी निश्चिंत थे कि भारत को आतंकियों को छोड़ना ही पड़ेगा।

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उन्होंने बताया कि हम दूसरे विकल्पों पर भी काम कर सकते थे लेकिन उसमें समय लगता और परिस्थितियां ऐसी बन रही थी कि हम ज्यादा दिनों तक उन्हें छोड़ नहीं सकते थे। उन्होंने बताया कि आतंकियों ने प्लेन हाइजैक करने के डेढ़ दिन तक कोई ठोस डिमांड नहीं की थी। शुरुआत में वह कश्मीर से सेना हटाने की मांग करते रहे।

फिर कुछ समय बाद उन्होंने 36 आतंकियों की लिस्ट दी और उनकी रिहाई की मांग की। इसके अलावा सज्जाद अफगानी की डेड बॉडी मांगी और 200 मीलियन डॉलर की मांग की। इसके बाद आतंकियों के साथ नेगोशिएसन शुरू हुआ।

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डोभाल के अनुसार, उस वक्त हमारे पास सिर्फ दो विकल्प थे- या तो हम सब कुछ भूल जाएं, देश के सभी यात्रियों के बारे में, उनके परिजनों के बारे में, इस घटना के बाद बने जनता के विचारों के बारे में, राजनीतिक प्रतिद्वंदता के बारे में और यह स्वीकार कर लें कि अब एक प्रिसिंपल स्थिति पैदा हो गई है, देश वो फैसला लेगा जो सही है। हमारे पास दूसरा विकल्प था कि अपने नुकसान को कम से कम करें। उन्होंने कहा कि हमारे पास कमांडो ऑपरेशन करने का रास्ता था लेकिन अगर तालिबान में विरोध शुरू हो जाता तो ऑपरेशन भी मुश्किल हो जाता और यात्रियों की जान पर खतरा बढ़ जाता।

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अजित डोभाल (Ajit Doval) ने आगे बताया कि करीब 105 घंटे की निगोसिएसन के बाद आतंकी तीन आतंकियों की रिहाई को लेकर राजी हो गए। 31 दिसंबर को बंधकों को कंधार एयरपोर्ट पर रिहा कर दिया गया। तत्कालीन NDA सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह खुद अपने साथ तीन आतंकियों मसूद अजहर, उमर शेख और अहमद जरगर को लेकर कंधार गए थे। हालांकि, एक भारतीय यात्री रुपिन कात्याल को हाइजैकर्स ने मार डाला था, जबकि एक अन्य यात्री सतनाम सिंह को घायल कर दिया था।

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