जम्मू-कश्मीर: विवाहेत्तर संबंध नहीं रहा अपराध, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा…

अब जम्मू-कश्मीर में भी विवाहित स्त्री या पुरुष के किसी अन्य से संबंध होने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकेगा। अनुच्छेद-370 के तहत मिले विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर में अभी तक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के बजाय आरपीसी के प्रावधानों ही लागू थे।

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जम्मू-कश्मीर में लागू रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखे गए प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर में लागू रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखे गए प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है। इसके बाद अब जम्मू-कश्मीर में भी विवाहित स्त्री या पुरुष के किसी अन्य से संबंध होने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकेगा। अनुच्छेद-370 के तहत मिले विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर में अभी तक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के बजाय आरपीसी के प्रावधानों ही लागू थे। सर्वोच्च न्यायालय ने आरपीसी के इस प्रावधान को निरस्त करने का आदेश पिछले साल 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की ही 5 सदस्यीय संविधान पीठ की तरफ से सुनाए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए दिया।

संविधान पीठ ने अपने फैसले में आईपीसी की ब्रिटिश कालीन धारा-497 को खारिज कर दिया था। इस धारा में विवाहित स्त्री या पुरुष के किसी अन्य से संबंध होने को अपराध माना जाता था। जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने 2 अगस्त को सुनाए अपने फैसले में कहा, आरपीसी की धारा 497 को पूरी तरह से असंवैधानिक घोषित किया जाता है। यह धारा भारतीय संविधान के खंड-3 का उल्लंघन करती है। इसी के साथ पीठ ने एक सेवारत सैन्य अधिकारी के खिलाफ इस आरोप में चल रहे आपराधिक मामले को भी खारिज कर दिया।

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उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया था। इसके अनुसार, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के संबंध में अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। गृह मंत्री द्वारा पेश किए गए बिल में जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन किया गया। राज्यसभा में बिल पास होने से अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

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