भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में बढ़ाई तैनाती, अब चीन को चारो खाने चित करने की बारी

भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने गलवान घाटी (Galwan Valley) में 15 जून को हिंसक झड़पों में भारत के 20 जवानों की शहादत के बाद बढ़ते तनाव के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में युद्धपोत और पनडुब्बियों को तैनात किया था।

Indian Navy भारतीय नौसेना

Indian Navy deploys large number of frontline warships and submarines in Indian Ocean Region

भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के मद्देनजर चीन (China) को स्पष्ट संदेश देने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र (आईओएस) में अग्रिम पंक्तियों के युद्धपोतों व पनडुब्बियों को बड़ी संख्या में तैनात किया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार चीन इस संदेश को समझ गया है। भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने गलवान घाटी (Galwan Valley) में 15 जून को हिंसक झड़पों में भारत के 20 जवानों की शहादत के बाद बढ़ते तनाव के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में युद्धपोत और पनडुब्बियों को तैनात किया था।

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रक्षा सूत्रों ने कहा कि सरकार ने थल सेना, वायु सेना और नौसेना (Indian Navy) के साथ मिलकर बहुपक्षीय तरीका अपनाते हुए और राजनीतिक व आर्थिक कदमों के साथ चीन (China) को यह कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है कि पूर्वी लद्दाख में उसका दुस्साहस बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हालात से निपटने में और चीन को भारत के स्पष्ट संदेश से अवगत कराने में समन्वित प्रयासों के लिए तीनों सेना प्रमुख नियमित रूप से बातचीत कर रहे हैं।

एक सूत्र ने कहा, ‘चीन (China) हमारे संदेश को समझ गया है। एक सवाल पर, क्या चीन ने भारत द्वारा की गयी तैनातियों पर कोई प्रतिक्रिया दी है?, इस पर सूत्र ने कहा कि ‘आईओआर में चीनी जहाजों की गतिविधियां बढ़ती नहीं दिखाई दीं।’

अमेरिका-जापान के साथ भारतीय नौसेना (Indian Navy) का अभ्यास

रक्षा सूत्र के मुताबिक, इसका कारण यह हो सकता है कि समुद्री क्षेत्र में बीजिंग के विस्तारवादी क्षेत्रीय दावों पर अमेरिका के कड़े विरोध के बाद दक्षिण चीन सागर में पीएलए (Chinese Troops) की नौसेना ने बड़ी संख्या में अपने संसाधनों को लगाया है। अमेरिका ने नौवहन की स्वतंत्रता का संदेश देने के लिए दक्षिण चीन सागर में बड़ी संख्या में युद्धपोत भेजे थे और इस क्षेत्र में चीन (China) के साथ क्षेत्रीय विवाद रखने वाले देशों को समर्थन जताया था। भारतीय नौसेना (Indian Navy) तेजी से उभरते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर अमेरिका और जापान जैसे अनेक मित्र देशों के नौसैनिक बलों के साथ अपने अभियान संबंधी सहयोग को भी बढ़ा रही है। भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने पिछले कुछ हफ्तों में आईओआर में अमेरिका, फ्रांस व जापान की नौसेनाओं के साथ अभ्यास किये हैं जिसे चीन को संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिकी नौसेना (US Navy) के साथ अभ्यास में परमाणु ऊर्जा संचालित विमान वाहक पोत यूएसएस निमित्ज के नेतृत्व वाला समूह शामिल रहा।

भारतीय नौसेना (Indian Navy) क्षेत्र में समान विचार वाले देशों की नौसेनाओं के साथ भी सहयोग बढ़ा रही है ताकि समुद्र में संचार के राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मांगों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखा जा सके। भारत, जापान और अमेरिका उस चतुष्कोणीय गठबंधन का हिस्सा हैं जिसमें ऑस्ट्रेलिया भी शामिल है। चारों देशों ने नवंबर 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से सुरक्षित रखने के लिहाज से नयी रणनीति विकसित करने के लिए चतुष्कोणीय गठजोड़ को आकार दिया था।

गलवान घाटी (Galwan Valley) के संघर्ष के बाद वायु सेना (Indian Air Force) ने पूर्वी लद्दाख के प्रमुख वायुसेना केंद्र और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अन्य स्थानों पर भी अपने अगली पंक्ति के लगभग सभी लड़ाकू विमानों को तैनात कर दिया था, जिनमें सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 शामिल हैं। इसी बीच फ्रांस से बहुप्रतीक्षित राफेल फाइटर जेट की पहली खेप अंबाला पहुंच गई है, जिसकी जल्द ही लेह में तैनाती हो सकती है।

वायु सेना (Indian Air Force) पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय हवा में गश्त भी कर रही है। जाहिर तौर पर इसका मकसद भी चीन (China) को ये संदेश देना है कि भारत हिमालय के पर्वतों में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। सेना ने भी गलवान घाटी (Galwan Valley) में हिंसक झड़पों के बाद महत्वपूर्ण तरीके से तैनाती की हैं। इन झड़पों में चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन उसने अभी तक इसका ब्योरा नहीं दिया है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीन के 35 सैनिक मारे गये।

गलवान घाटी (Galwan Valley) की घटना के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को एलएसी पर चीन (China) के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी आजादी दी है। सैन्य वार्ता के अंतिम दौर के बाद सरकारी सूत्रों ने कहा था कि भारतीय पक्ष ने चीन की सेना को बहुत स्पष्ट संदेश दिया है कि पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति बनाकर रखी जानी चाहिए और उसे सीमा पर अमन-चैन बहाल करने के लिए सीमा प्रबंधन के परस्पर सहमति वाले सभी प्रोटोकाल का पालन करना होगा।

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