India China Dispute: गोगरा और हॉट स्प्रिंग पर बनी सहमति, देपसांग-डेमचोक को लेकर जारी रहेगी बात

भारत (India) और चीन (China) के बीच बीते कई महीनों से LAC पर चल रहे विवाद को खत्‍म करने के लिए दोनों देशों के बीच 20 फरवरी को 10वें दौर की सैन्‍य वार्ता हुई।

Depsang

मोल्डो में 20 फरवरी को चीन के साथ चार जगहों पर चर्चा हुई, उनमें देपसांग (Depsang) सबसे विवादित बना रहा। देपसांग में चीन का दावा है कि सीमा Y जंक्शन के पास बारबद मोर्चा से गुजरती है, जिस पर भारत को आपत्ति है।

भारत (India) और चीन (China) के बीच बीते कई महीनों से LAC पर चल रहे विवाद को खत्‍म करने के लिए दोनों देशों के बीच 20 फरवरी को 10वें दौर की सैन्‍य वार्ता हुई। वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा, देपसांग (Depsang) और डेमचोक (Demchok) जैसे क्षेत्रों से भी सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही गई।

जानकारी के मुताबिक, गोगरा हाइट्स और हॉट स्प्रिंग पर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है, जबकि देपसांग (Depsang) और देमचोक को लेकर अभी भी कुछ मुद्दों पर चर्चा होनी बाकी है।

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बता दें कि चीन की तरफ मोल्दो बॉर्डर पर लगभग 16 घंटे तक चली बैठक में भारत की तरफ से 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और चीन की तरफ से दक्षिण शिंजियांग मिलिट्री चीफ मेजर जनरल लियु लिन ने हिस्सा लिया था। एक सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, दोनों तरफ से सेना को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर बात की गई है।

अब इस प्रस्ताव को उच्च स्तर पर विचार के लिए भेजा गया है। इस बीच आगे की बातचीत जारी रहेगी। यह पहली बार है जब चीन देपसांग पर बातचीत को तैयार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, 2013 से चीन ने भारतीय सुरक्षाबलों को पेट्रोलिंग प्वाइंट 10, 11, 11A, 12 और 13 पर पेट्रोलिंग से रोका हुआ है।

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मोल्डो में 20 फरवरी को चीन के साथ चार जगहों पर चर्चा हुई, उनमें देपसांग (Depsang) सबसे विवादित बना रहा। देपसांग में चीन का दावा है कि सीमा Y जंक्शन के पास बारबद मोर्चा से गुजरती है, जिस पर भारत को आपत्ति है। इस आपत्ति की वजह लगभग 10,000 स्क्वेयर किलोमीटर की जमीन है।

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देपसांग (Depsang) इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यहां से दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी और काराकोरम रेंज तक पहुंच पर नियंत्रण मिलता है। बता दें कि इससे पहले पैंगोंग झील वाले इलाके से डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी की गई है। इसके तहत भारत और चीन के सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया 10 फरवरी को शुरू हुई थी।

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