भारत चीन विवाद: फिर बेनतीजा रही बातचीत, 2 किमी भारतीय भूभाग कब्जाने की जिद पर अड़ा चीन

चीनी पक्ष अपनी बात पर अड़ा रहा कि भारतीय सेना (Indian Army) को भी पीछे हटना होगा। उधर पाकिस्तान ने भी मौके का फायदा उठाने के लिए एलओसी (LoC) 20 हजार जवानों को गिलगित–बाल्तिस्तान में एलओसी के नजदीक तैनात किया है।

India China

India China Border Tension

पूर्वी लद्दाख में वास्तवीक नियत्रंण रेखा (LaC) पर तनाव दूर करने के लिए मंगलवार को करीब 12 घंटे चली मैराथन बैठक का परिणाम अपेक्षाकृत नहीं रहा। दोनों पक्षों (India China) ने तनाव करने पर जोर दिया लेकिन चीन के भारतीय सेना को भी दो किलोमीटर पीछे हटने पर अड़े रहने से मामला फिर अगली बैठक के लिए टल गया। हालांकि इस बात पर सहमति बनी कि तनाव दूर करने के लिए बैठकों का दौर चलता रहेगा। बैठक राजनायिक स्तर पर भी होंगी।

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मामला पेंगोंग त्सो लेक के फिंगर 4 को लेकर फंसा है। चीन की शर्त है कि वह इस बिंदु से तभी हटेगा जब भारत भी दो किलोमीटर पीछे हटेगा। भारत का पीछे हटने का अर्थ हुआ कि उसका फिंगर 4 से दावा कमजोर पड़ जाएगा। भारत की शर्त है कि चीन वापस फिंगर–8 से पीछे जाए। भारत की तरफ से 14 कोर कमांड़र लेफ्टिनेंट हरिंदर सिंह और चीन की तरफ से तिब्बत मिलिट्री डिट्रिक्ट के मेजर जनरल लीयू लिन बैठक में भाग लिया। इस बात बैठक चिशुल में भारतीय भूभाग में हुई। बातचीत का परिणाम न निकलने के कारण दोनों तरफ (India China) से एलएसी (LaC) पर सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है। भारत ने सीमा पर भीष्म टैंकों की तैनाती बढ़ाने के साथ ही पेंगोंग त्सो लेक में निगरानी बढ़ाने के लिए नौसेना के आधुनिक नावों की तैनाती की है।

सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना ने उत्तरी शिनिजयांग प्रांत में दो डिवीजनों को तैनात किया है। एक डिवीजन में 10 हजार सैनिक हैं। यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) से 1 हजार किलोमीटर की दूरी पर है‚ चीनी सीमा पर समतल इलाकों के कारण अधिकतम 48 घंटे में सीमा तक पहुंचने के लिए उन्हें जुटाया जा सकता है।

भारत ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के आस–पास के स्थानों से कम से कम दो डिवीजनों को तैनात किया है। इसमें एक आरक्षित माउंटेन डिवीजन भी शामिल है जो हर साल पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में अपने युद्ध अभ्यास करती है। सूत्रों का कहना है कि मंगलवार की बैठक में तनाव दूर करने के लिए चीनी सेना को पीछे हटने और छह व 22 जून को हुई कोर कमांडर स्तर की बैठक में जिन मुद्दों पर सहमति बनी थी‚ उन पर कितना अमल हुआ‚ इस पर चर्चा हुई। गलवान घाटी में चीनी सेना टोकन के रूप में थोड़ा पीछे हटी है‚ लेकिन उसने अपने ढांचा नहीं हटाए हैं।

मंगलवार की बैठक में चीन की तरफ से कहा गया कि भारत को भी दो किलोमीटर पीछे हटना पड़ेगा। इसका मतलब हुआ कि भारत को अपनी ही धरती पर से दावा छोड़ना होगा और चीन को भारत पर दो किलोमीटर की बढ़त मिल जाएगी। भारत की तरफ से बातचीत कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने अपना पक्ष मजबूती रखा कि चीन को 4 मई से पहले की स्थिति बहाल करनी होगी और 17 जून को दोनों देशों  (India China) के विदेश मंत्रियों की बातचीत में बनी सहमति के अनुसार इस मसले को जिम्मेदारी के साथ सुलझाना होगा। चीनी पक्ष अपनी बात पर अड़ा रहा कि भारतीय सेना (Indian Army) को भी पीछे हटना होगा। उधर पाकिस्तान ने भी मौके का फायदा उठाने के लिए एलओसी (LoC) 20 हजार जवानों को गिलगित–बाल्तिस्तान में एलओसी के नजदीक तैनात किया है।

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