सभी देशवासियों को युद्ध विजय की बधाई: पीएम मोदी ने ऐसे दी चीन-नेपाल को पटखनी, वापस लौटी दुश्मन की सेना

चीन की शह पर भारत को आंख दिखाने की कोशिश कर रहे नेपाल को भी प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने सख्त लहजे में समझा दिया। कूटनीतिक माध्यमों से नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को बता दिया गया कि इस तरह की बेजा हरकतों का दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है।

India China Border

China and India move troops as border tensions escalate

India China Border Tension: कल तक लद्दाख में सीमा पर आंखें तरेर रहे ड्रैगन के सुर अब बदले–बदले नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के कूटनीतिक चक्रव्यूह ने एक ही झटके में न केवल चीन‚ बल्कि नेपाल की भी हेकड़ी ढीली कर दी है। भारत को अंजाम भुगतने की धमकी दे रहे चीन के तेवर ढीले पड़ गए हैं। वहीं‚ दूसरी तरफ पिछले कुछ दिनों से अपने नए राजनीतिक नक्शे को लेकर भारत से सीनाजोरी कर रहे नेपाल को भी मुंह की खानी पड़ी है। नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने उस प्रस्ताव को वापस ले लिया है जिसमें नए नक्शे को मंजूरी दी जानी थी।

सूत्रों के अनुसार लद्दाख सीमा (India China Border) पर चीन की भड़काऊ कार्रवाई के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने न केवल देश के अंदर‚ बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चीन की नकेल कसने के प्रयास शुरू किए।

सूत्रों की मानें तो इस पूरे मुद्दे पर भारत के मित्र देश रूस ने भी चीन को समझाने का काम किया। एक तरफ जहां किसी भी हिमाकत पर चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति तैयार की गई‚ वहीं सारे कूटनीतिक चैनल भी खोल दिए। कूटनीतिक माध्यमों से चीन को कड़ा संदेश दिया गया कि यह 62 का भारत नहीं है और बेहतर होगा कि कोरोना कि इस महामारी में दोनों देश शांतिपूर्वक इस महामारी से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करें।

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चीन की नरमी के पीछे भारत की वह कूटनीति भी है जिसमें ताइवान को भारत ने न केवल अपना समर्थन दिया‚ बल्कि दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति के विरोध में भारत दुनिया के अन्य राष्ट्रों के साथ भी खड़ा हुआ। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ (WHO) में भारत की दमदार मौजूदगी से भी ड्रैगन का दम फूला है क्योंकि दुनिया के 62 देशों ने कोरोना के मामले में चीन के खिलाफ जांच की मांग रखी हुई है अब जबकि भारत इस संस्था की एग्जीक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन है बहुत कुछ भारत के फैसले पर निर्भर करेगा।

उधर चीन की शह पर भारत को आंख दिखाने की कोशिश कर रहे नेपाल को भी प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने सख्त लहजे में समझा दिया। कूटनीतिक माध्यमों से नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को बता दिया गया कि इस तरह की बेजा हरकतों का दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है। इसके बाद नेपाल में भारत समर्थक राजनीतिक दलों ने नेपाली सरकार पर इस प्रस्ताव को वापस लेने का दबाव बनाया और नेपाल ने भी नक्शे के प्रस्ताव को वापस ले लिया है।

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