करतारपुर गलियारा परियोजना पर बातचीत करेंगे भारत और पाकिस्तान

पाकिस्तान ने कहा कि वह सीमापार करतारपुर गलियारा परियोजना का काम जारी रखेगा और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर नवंबर में इसे खोलेगा।

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भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद दोनों देशों के अधिकारी 30 अगस्त को मिल कर करतारपुर गलियारा परियोजना पर बातचीत करेंगे।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद दोनों देशों के अधिकारी 30 अगस्त को मिल कर करतारपुर गलियारा परियोजना पर बातचीत करेंगे। पाकिस्तान विदेश कायार्लय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच शुक्रवार को बोर्डर स्थित जीरो प्वाइंट पर तकनीकी बैठक होगी। फैजल ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा, ‘पाकिस्तान के प्रस्ताव से भारत सहमत है और करतारपुर साहिब गलियारे को लेकर तकनीकी बैठक 30 अगस्त को जीरो प्वाइंट पर होने जा रही है।’ उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान अपने प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार, करतारपुर साहिब गलियारे को पूरा करने और इसका उद्घाटन करने को लेकर प्रतिबद्ध है।’

पाकिस्तान ने कहा कि वह सीमापार करतारपुर गलियारा परियोजना का काम जारी रखेगा और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर नवंबर में इसे खोलेगा। पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित करतारपुर गुरुद्वारा भारत के गुरुदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक श्राइन से करीब चार किलोमीटर दूर है और यह लाहौर से करीब 120 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में अवस्थित है। गुरु नानक 1939 में अपने मुत्यु पर्यंत वहां 18 साल तक रहे थे। यह गलियारा पाकिस्तान के करतारपुर में दरबार साहिब को गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ेगा और भारतीय सिख तीर्थयात्रियों की वीजा मुक्त आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा। सिख तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब जाने के लिए सिर्फ अनुमति लेनी होगी। करतारपुर साहिब की स्थापना गुरू नानक देव ने 1522 में की थी।

पाकिस्तान और भारत गुरु नानक के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर 12 नवंबर को लाहौर से करीब 125 किलोमीटर दूर नारोवाल में गलियारे के उद्घाटन के संबंध में अब भी तौर-तरीकों पर विचार कर रहे हैं। यह गलियारा 1947 में भारत की आजादी के बाद से दोनों पड़ोसी देशों के बीच पहला वीजा मुक्त गलियारा भी होगा। करतारपुर साहिब सिखों के लिए सबसे पवित्र जगहों में से एक है। करतारपुर साहिब सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का निवास स्‍थान था। गुरू नानक ने अपनी जिंदगी के आखिरी 17 साल 5 महीने 9 दिन यहीं गुजारे थे। उनका सारा परिवार यहीं आकर बस गया था। उनके माता-पिता और उनका देहांत भी यहीं पर हुआ था।

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