पूर्व हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन, घाटी में अलर्ट जारी

पूर्व हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का निधन हो गया।सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कश्मीर (Kashmir) घाटी में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं।

Syed Ali Shah Geelani

Syed Ali Shah Geelani (File Photo)

सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) कई सालों से श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र हैदरपोरा में रह रहे थे। वह हृदय, किडनी, शुगर समेत कई बीमारियों से पीड़ित थे।

पूर्व हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का 1 सितंबर को निधन हो गया। वे 92 साल के थी। सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कश्मीर (Kashmir) घाटी में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया गया है। इसकी जानकारी कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने दी।

गिलानी के निधन के बाद पूरी घाटी में अलर्ट कर दिया गया। पुलिस और सुरक्षाबलों की संवेदनशील स्थानों पर तैनाती कर दी गई है। सभी जिलों में कानून व्यवस्था बनाए रखने की हिदायत दी गई है।

Coronavirus: भारत में बीते 24 घंटे में आए 47 हजार से ज्यादा नए केस, दिल्ली में कोई मौत नहीं

सोपोर के बोम्मई के रहने वाले गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) कई सालों से श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र हैदरपोरा में रह रहे थे। वह हृदय, किडनी, शुगर समेत कई बीमारियों से पीड़ित थे। 1 सितंबर दोपहर को सांस लेने में दिक्कत और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद डॉक्टरों ने घर में ही उनका चेकअप किया था।

देर रात करीब 10:30 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। गिलानी साल 2008 से लगातार हैदरपोरा स्थित आवास पर नजरबंद थे। गिलानी के निधन पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट की प्रमुख महबूबा मुफ्त समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।

तालिबान के जश्न में ‘पंचशीर के शेरों’ ने डाला खलल, पंचशीर को कब्जाने आये 350 तालिबानी ढेर और 120 पकड़े गये

जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के मजबूत स्तंभों में गिने जाने वाले गिलानी सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का जन्म 29 सितंबर, 1929 को बारामुला जिले के सोपोर क्षेत्र के दुरू गांव में हुआ था। पाकिस्तान के समर्थन माने जाने वाले गिलानी तीन बार विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं।

गिलानी साल 1972,1977 और 1987 में जम्मू-कश्मीर के सोपोर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। हालंकि, बाद में गिलानी ने राजनीति से दूरी बना ली। साल 1962 में अशांति फैलाने के आरोप में उन्हें जेल भी भेजा गया था। मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट आफ कश्मीर और हुर्रियत कांफ्रेंस के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले गिलानी ने अल्लामा इकबाल पर भी किताब लिखी थी।

ये भी देखें-

अलगाववाद और इस्लाम से जुड़े विषयों पर उन्होंने चार किताबें लिखी थीं। गिलानी ने कई सालों तक हुर्रियत की अध्यक्षता की। उन्होंने इसी साल जून में ऑल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस (APHC) से इस्तीफा दिया था।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें