Farm Bill 2020: किसान बिल पर दिमाग में उठ रहे हैं सवाल? 6 प्वाइंट्स में समझें पूरा मामला

किसान बिल (Farm Bill 2020) से सरकार ने क्‍या-क्या बदलाव किए हैं, उसे लेकर किसानों के मन में कई डर और आशंकाएं हैं। संसद में सरकार को इस मुद्दे पर लगातार घेरा जा रहा है और जबरदस्त हंगामा हो रहा है।

Farm Bill 2020

कहा जा रहा है कि किसान बिल (Farm Bill 2020) असल में किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य न देने की साजिश है। इस पर सरकार ने कहा है कि किसान बिल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कोई लेना-देना नहीं है।

लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी विपक्ष के लगातार विरोध के बीच किसानों से जुड़े दो बिल (Farm Bill 2020) 20 सितंबर को पास कर दिए गए। ये बिल हैं- कृषक उपज व्यापार विधेयक 2020 और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020। कृषि संबंधित दो बिल ध्वनि मत से पास हुए। कृषि विधेयकों को लेकर विपक्ष ने जमकर विरोध किया है।

वहीं, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के किसान इन बिलों को लेकर खफा हैं। पंजाब में 25 सितंबर को किसानों ने भारी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है। संसद में भी सरकार को इस मुद्दे पर लगातार घेरा जा रहा है और जबरदस्त हंगामा हो रहा है। सरकार ने क्‍या बदलाव किए हैं, उसे लेकर किसानों के मन में कई डर और आशंकाएं हैं।

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अब, किसानों की शंकाओं को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने अखबारों में विज्ञापन देकर स्थिति साफ करने की कोशिश की है। सरकार ने छह प्वाइंट्स में अपनी बात कही है।

न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य

पहला, कहा जा रहा है कि किसान बिल (Farm Bill 2020) असल में किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य न देने की साजिश है। इस पर सरकार ने कहा है कि किसान बिल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी दिया जा रहा है और भविष्‍य में दिया जाता रहेगा।

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मंडी सिस्‍टम

दूसरा, इस विधेयक को लेकर बताया जा रहा है कि अब मंडियां खत्‍म हो जाएंगी। सरकार ने इस पर अपना पक्ष साफ करते हुए कहा है कि मंडी सिस्‍टम जैसा है, वैसा ही रहेगा।

किसान विरोधी बिल

तीसरा, यह भी कहा जा रहा है कि यह बिल (Farm Bill 2020) किसान विरोधी है। जिसपर सरकार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि किसान बिल से किसानों को आजादी मिलती है। अब किसान अपनी फसल किसी को भी, कहीं भी बेच सकते हैं। इससे ‘वन नेशन वन मार्केट’ स्‍थापित होगा। बड़ी फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ पार्टनरशिप करके किसान ज्‍यादा मुनाफा कमा सकेंगे।

किसानों का शोषण

चौथा, इस बिल को लेकर यह कहा जा रहा है कि बड़ी कंपनियां शोषण करेंगी। कॉन्‍ट्रैक्‍ट के नाम पर बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों का शोषण होगा। सरकार ने इस पर कहा है कि समझौते से किसानों को पहले से तय दाम मिलेंगे लेकिन किसान को उसके हितों के खिलाफ नहीं बांधा जा सकता है। किसान उस समझौते से कभी भी हटने के लिए स्‍वतंत्र होगा, इसलिए लिए उससे कोई पेनाल्‍टी नहीं ली जाएगी।

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किसानों की जमीन छिन जाएगी

पांचवां, यह कहा जा रहा है कि किसानों की जमीन छिन जाएगी। किसानों की जमीन पूंजीपतियों को दी जाएगी। इस पर सरकार का कहना है कि बिल में साफ कहा गया है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह प्रतिबंधित है। समझौता फसलों का होगा, जमीन का नहीं।

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किसानों को नुकसान, कॉर्पोरेट को फायदा 

और छठां, किसान बिल (Farm Bill 2020) के बारे में यह कहा जा रहा है कि किसानों को इससे नुकसान है और बड़े कॉर्पोरेट को फायदा है। इस पर सरकार ने कहा है कि कई राज्‍यों में बड़े कॉर्पोरेशंस के साथ मिलकर किसान गन्‍ना, चाय और कॉफी जैसी फसल उगा रहे हैं। अब छोटे किसानों को ज्‍यादा फायदा मिलेगा और उन्‍हें तकनीक और पक्‍के मुनाफे का भरोसा मिलेगा।

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