ब्रिटेन में कोरोना वायरस का जो नया स्ट्रेन (Coronavirus New Strain) मिला है, उसका नाम B.1.1.7 है। वैज्ञानिकों को शुरूआती जांच में यह पता चला कि म्यूटेशन से बना B.1.1.7 स्ट्रेन अत्यधिक संक्रामक है।
विश्व के 16 देशों में को अपनी चपेट में ले चुका कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन (Coronavirus New Strain) भारत भी पहुंच गया है। भारत सरकार ने 29 दिसंबर को इसकी जानकारी दी। भारत में नए कोरोना वायरस स्ट्रेन से संक्रमित 6 लोग मिले हैं। बता दें कि यह नया स्ट्रेन पिछले कोरोना वायरस से ज्यादा संक्रामक है। यह स्ट्रेन 70 फीसदी ज्यादा संक्रामक है।
जो 6 लोग नए स्ट्रेन से संक्रमित मिले हैं वो यूके से वापस लौटकर भारत आए थे। 25 नवंबर से 23 दिसंबर तक कुल 33 हजार लोग यूके से भारत के अलग-अलग एयरपोर्ट पर उतरे। इनमें से 114 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले। इनके सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भारत के 10 अलग-अलग प्रयोगशालाओं में भेजे गए। तब पता चला कि 6 लोगों में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन (Coronavirus New Strain) है। गौरतलब है सरकार ने यूरोपीय देशों से आने वाली उड़ानों पर अस्थाई रोक लगा रखी है।
ब्रिटेन में कोरोना वायरस का जो नया स्ट्रेन मिला है, उसका नाम B.1.1.7 है। वैज्ञानिकों को शुरूआती जांच में यह पता चला कि म्यूटेशन से बना B.1.1.7 स्ट्रेन अत्यधिक संक्रामक है, लेकिन खतरनाक कम है। इसका मतलब ये नहीं कि यह किसी की जान नहीं ले सकता। इस स्ट्रेन की वजह मरीज को सीने में तेज दर्द होता है। बाकी सारे लक्षण पुराने कोरोना वायरस की तरह ही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना संक्रमित हर देश अपने यहां मौजूद सभी संक्रमित मरीजों की संख्या का 0.33 फीसदी जीनोम सिक्वेंसिंग कराएगा यानी हर 300 संक्रमित मरीजों में से एक मरीज के वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग। इससे ये पता चलता है कि मरीजों में किस तरह का कोरोना वायरस स्ट्रेन है।
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बता दें कि भारत में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा कम है। साथ ही यहां पर संक्रमित मरीजों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। अगर कोरोना के नए स्ट्रेन को अनुकूल परिस्थितियां मिलती हैं तो ये तबाही मचा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि हर जीव का एक जीनोम होता है, यानी हमारे जीन्स का सेट पैटर्न। कई बार इस पैटर्न में बदलाव भी आते हैं, लेकिन इंसानों जैसे विकसित जीव इसे ठीक भी कर लेते हैं।
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वायरस इन बदलावों को ठीक करने में कमजोर होते हैं। जिस वायरस में राइबोन्यूक्लिक एसिड यानी आरएनए (RNA) जेनेटिक मटेरियल होता है वो इस मामले में और भी बेकार होते हैं। वो अपने जीनोम में आए बदलावों को ठीक नहीं कर पाते। यह बदलाव स्थाई रह जाता है। इसी को म्यूटेशन कहते हैं, यानी कोरोना के नए स्ट्रेन (Coronavirus New Strain) का मतलब है कोरोना वायरस के जीनोम में बदलाव हुआ है जो वह खुद ठीक नहीं कर सकता, यानी एक और नया वायरस।
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