सांकेतिक तस्वीर।
जैसे-जैसे फोर्स अंदर बढ़ रही है नक्सली (Naxalites) पीछे हट रहे हैं। आईजी ने सुदूर इलाकों के 32 कैंपों का चयन किया है। ये कैंप विकास केंद्र के तौर पर काम करेंगे।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सुरक्षाबल अब नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ पूरी तरह एक्शन में हैं। ‘आपरेशन मानसून’ की सफलता के बाद फोर्स ने ‘आपरेशन विंटर’ की तैयारी शुरू कर दी है। आईजी सुंदरराज पी बीते 30 सितंबर को अति दुर्गम अबूझमाड़ के जंगल में स्थित आकाबेड़ कैंप पहुंचे। उन्होंने वहां सुरक्षाबल के जवानों और ग्रामीणों से मिलकर सिमट रहे नक्सलवाद और विकास में आई गति पर बात की।
आकाबेड़ा कैंप में आईजी सुंदरराज पी की मौजूदगी में ‘आपरेशन विंटर’ की योजना बनाई गई। इसके अगले दिन 1 अक्टूबर को आईजी सुंदरराज पी ने बस्तर संभाग के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों की बैठक बुलाई। इस बैठक में आईजी ने ‘आपरेशन विंटर’ के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए।
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बता दें कि बीते दो सालों के दौरान बस्तर संभाग के हालात में काफी बदलाव आया है। एक दशक पहले नक्सल दहशत से बीजापुर जिले के तर्रेम, नारायणपुर के कोहकामेटा और सोनपुर जैसे थाने जो बंद हो गए थे, वह अब फिर से खुल गए हैं।
सुरक्षाबलों ने अंदरूनी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए करीब 120 कैंप खोले हैं। जंगल में बसे गांवों तक फोर्स के कैंपों की मदद से सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल, राशन दुकान आदि सुविधाएं पहुंच रही हैं।
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जैसे-जैसे फोर्स अंदर बढ़ रही है, नक्सली (Naxalites) पीछे हट रहे हैं। आईजी ने सुदूर इलाकों के 32 कैंपों का चयन किया है। ये कैंप विकास केंद्र के तौर पर काम करेंगे।
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