26/11 मुंबई हमला, तीन दिनों तक चला था आतंकियों का खूनी खेल

11 साल पहले आज ही के दिन मुंबई (Mumbai) में सबसे बड़ा आतंकी हमला (26/11 Terrorist Attack) हुआ था। इस हमले में पाकिस्तानी आतंकियों ने 160 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

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26/11 Mumbai Attack: 11 साल पहले आज ही के दिन मुंबई (Mumbai) में सबसे बड़ा आतंकी हमला (26/11 Terrorist Attack) हुआ था।

11 साल पहले आज ही के दिन मुंबई (Mumbai) में सबसे बड़ा आतंकी हमला (26/11 Terrorist Attack) हुआ था। इस हमले में पाकिस्तानी आतंकियों ने 160 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और 300 से अधिक घायल हुए थे। पाकिस्तानी आतंकी कसाब सहित 10 आतंकियों ने सबसे पहला हमला कैफे लियोपोल्ड में किया था। उसके बाद ताजमहल होटल, ओबरॉय-टाइटेंड होटल, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर आतंकियों ने हमला किया। इस हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा था।

Mumbai
26/11 मुंबई आतंकी हमला (फाइल फोटो)।

26 नवंबर, 2008 को दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई (Mumbai) समेत पूरे देश को दहला दिया था। आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया था। जबकि एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। कानूनी प्रक्रिया को पूरी करने के बाद अदालत ने उसे 2012 में मौत की सजा सुनाई थी। हमलावर कराची से नाव के जरिए मुंबई (Mumbai) में घुसे थे। इस नाव पर चार भारतीय सवार थे, जिन्हें किनारे तक पहुंचते-पहुंचते आतंकियों ने मार दिया। रात के तकरीबन आठ बजे थे, जब ये हमलावर कोलाबा के पास कफ परेड के मछली बाजार पर उतरे। वहां से वे चार ग्रुपों में बंट गए थे। ये सभी आतंकवादी दो-दो के ग्रुप में बंट गए और अपनी-अपनी दिशा पकड़ ली। इनमें से दो आतंकियों ने दक्षिणी मुंबई के कोलाबा में स्थित लियोपोल्ड कैफे को निशाना बनाया, दो आतंकियों ने नरीमन हाउस को।

बाकी आतंकी दो-दो की संख्या में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, होटल ट्राइडेंट ओबरॉय और ताज होटल पर हमला करने निकल पड़े थे। करीब 60 घंटे तक मुंबई (Mumbai) में यह खूनी खेल चला था। सबसे ज्यादा लोग मुंबई के सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर मारे गए थे। इसके बाद आतंकियों ने लियोपोल्ड कैफे, ताज होटल, होटल ओबेरॉय, कामा अस्पताल और दक्षिण मुंबई के कई स्थानों पर हमले शुरू कर दिए। आधी रात होते होते मुंबई (Mumbai) के कई इलाकों में हमले हो रहे थे। एक साथ इतनी जगहों पर हमले ने सबको चौंका दिया था। इसकी वजह से आतंकियों की संख्या का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था।

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ताज होटल में आतंकियों ने कई मेहमानों को बंधक बना लिया था, जिनमें सात विदेशी नागरिक भी शामिल थे। ताज होटल के हेरीटेज विंग में आग लगा दी गई थी। 27 नवंबर की सुबह एनएसजी के कमांडो वहां पहुंचे। सबसे पहले होटल ओबेरॉय में बंधकों को मुक्त कराकर ऑपरेशन 28 नवंबर की दोपहर को खत्म हुआ था। उसी दिन शाम तक नरीमन हाउस के आतंकवादी भी मारे गए थे। लेकिन होटल ताज के ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने में 29 नवंबर की सुबह तक का वक्त लग गया था। तीन दिन तक सुरक्षाबल आतंकवादियों से जूझते रहे थे। आतंकियों के इस हमले को नाकाम करने के लिए मुंबई पुलिस का साथ देने के लिए दो सौ एनएसजी कमांडो और सेना के पचास कमांडो को मुंबई (Mumbai) भेजा गया था। इसके अलावा सेना की पांच टुकड़ियों को भी वहां तैनात किया गया था। हमले के दौरान नौसेना को भी अलर्ट पर रखा गया था।

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला करने वाला आतंकी अजमल आमिर कसाब मुठभेड़ के बाद ताड़देव इलाके से जिंदा पकड़ा गया था। कसाब को संजय गोविलकर ने पकड़ा था, जिन्‍हें बाद में राष्‍ट्रपति के पुलिस पदक से भी नवाजा गया था। 21 नवंबर, 2012 को पुणे की यरवदा जेल में कसाब को फांसी दे दी गई थी। इस आतंकी हमले (Terrorist Attack) को नाकाम करते वक्त 17 से ज्यादा पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने अपनी जान गंवाई थी। इनमें एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, एसीपी सदानंद दाते, एनएसजी के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसआई विजय सालस्कर, इंसपेक्टर सुशांत शिंदे, एसआई प्रकाश मोरे, एसआई दुदगुड़े, एएसआई नानासाहब भोंसले, एएसआई तुकाराम ओंबले, कांस्टेबल विजय खांडेकर, जयवंत पाटिल, योगेश पाटिल, अंबादोस पवार और एम.सी. चौधरी शहीद हुए थे।

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