नक्सली से कथाकार बना ये शख्स, कभी डर से कांपते थे लोग, आज खुद सुनने जाते हैं हरि कथा

एक जमाना था जब देवकीनंदन दास (Devkinandan Das) नक्सली हुआ करते थे, लेकिन आज उनका जीवन पूरी तरह बदल चुका है और वह पूरे देश में हरि कथा सुनाते हैं।

Devkinandan Das

आज देवकीनंदन दास (Devkinandan Das) न केवल कथा कहते हैं, बल्कि एकल के अखिल भारतीय कथाकार प्रशिक्षण के प्रमुख भी हैं। आज वे आदिवासी लोगों को कथा कहने का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

जिंदगी कभी भी बदल सकती है, बस जरूरत है एक कदम आगे बढ़ाने की। इस कहावत को सिद्ध कर दिखाया है नक्सली से कथाकार बने देवकीनंदन दास (Devkinandan Das) ने। एक जमाना था जब देवकीनंदन दास नक्सली हुआ करते थे, लेकिन आज उनका जीवन पूरी तरह बदल चुका है और वह पूरे देश में हरि कथा सुनाते हैं।

लगभग ढाई दशक पहले देवकीनंदन चौधरी, नक्सलियों के संपर्क में थे। वह 1996 में एकल अभियान के संपर्क में आए थे। उनके साथ 100 साथियों ने भी एकल की हरि कथा योजना का हिस्सा बनना चुना था।

आज देवकीनंदन दास (Devkinandan Das) न केवल कथा कहते हैं, बल्कि एकल के अखिल भारतीय कथाकार प्रशिक्षण के प्रमुख भी हैं। आज वे आदिवासी लोगों को कथा कहने का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

देवकीनंदन दास देश के कई राज्यों में कथा कहने के लिए जाते हैं। वह बताते हैं कि RSS के अनुषांगिक संगठन एकल अभियान के संस्थापक श्यामजी गुप्त ने उनका जीवन बदल दिया था।

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खुद देवकीनंदन बताते हैं कि एक जमाने में लोग उनसे थर-थर कांपते थे, लेकिन आज वही लोग एक कथावाचक के तौर पर उनका सम्मान करते हैं।

देवकीनंदन ने 1989 में ग्रेजुएशन किया था। इसके बाद वह लातेहार जिले के अपने गांव टेमकी में लोगों का इलाज किया करते थे। इसी दौरान नक्सलियों ने पढ़े लिखे युवाओं को अपने साथ जोड़ने का अभियान चलाया और देवकीनंदन पर नक्सल संगठन ज्वाइन करने का दबाव बनाया। नक्सलियों के डर की वजह से देवकीनंदन को उस समय नक्सली संगठन से जुड़ना पड़ा।

देवकीनंदन ने बताया कि वह देश के लिए कुछ करना चाहते थे और नक्सली संगठन में उनका मन नहीं लग रहा था। इसके बाद वह कथा कहने की ओर आकर्षित हुए और फिर जगह-जगह जाकर कथा कहने लगे। उन्होंने अयोध्या से कथा कहने का प्रशिक्षण लिया था।

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