Dantewada

मुठभेड़ के दौरान भागने वाले नक्सली भारी मात्रा में हथियार,विस्फोटक और सामान छोड़ गए। सुरक्षाबलों ने उस स्थान को कब्जे में लेकर, नक्सलियों के सामान की जांच की।

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में पुलिस को दो नक्सलियों को पकड़ने में सफलता मिली है। विधानसभा उपचुनाव की सुरक्षा व्यवस्था हेतु चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियान के तहत यह गिरफ्तारी काफी महत्वपूर्ण है।

माता-पिता ने उसे दंतेवाड़ा के सरकारी आवासीय विद्यालय में लक्ष्मण का दाखिला करवा दिया। इसके बाद लक्ष्मण ने यहीं रह कर पढ़ाई की। बारहवीं पास के करने के बाद उसने नीट की परीक्षा दी। लक्ष्मण ने बताया कि उसके माता-पिता ने उसे गांव आने से मना करते थे।

सर्च के दौरान पुलिस दल ने नक्सली कोपाराम कडती उर्फ वीर सिंह को मासोड़ी गांव के पास से गिरफ्तार किया। गिरफ्तार माओवादी साल 2007 से नक्सली संगठन में जुड़कर कार्य कर रहा था।

18 अप्रैल की सुबह मतदान से ठीक पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पुलिस ने एनकाउंटर करके दो नक्सलियों को मार गिराया है। मुठभेड़ में नक्सली कमांडर वर्गीस भी मारा गया है। नक्सल कमांडर वर्गीस ने ही लैंडमाईन बिछाकर भाजपा विधायक मांडवी के काफिले पर धमाका किया था।

दशकों से नक्सली हिंसा का दंश झेलने वाली छत्तीसगढ़ की धरती पर आज भी लोकतंत्र बेहद दृढ़ता से खड़ा है। नक्सली हिंसा का गवाह रहा भारत का यह राज्य लोकतंत्र के इस महापर्व को खूब हर्षोल्लास के साथ मनाता आया है। नक्सलियों के लाख कोशिशों के बावजूद भी यहां के लोगों का भारतीय लोकतंत्र में विश्वास क़ायम है। इनका यही विश्वास नक्सलवाद की हार है।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवानों पर सोमवार को एक बड़ी नक्सली हमला हुआ। इस हमले में एक जवान शहीद हो गया और पांच जवान घायल हो गए।

नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा का कावड़गांव के युवा पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। खासकर वालीबॉल के लिए तो यहां के युवा ही नहीं 4 साल के बच्चे तक दीवाने हैं।

साथियों को बचाने के लिए सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमान्डेंट नागसेप्पम मनोरंजन सिंह ने अपने सीने पर खाई गोलियां।

नक्सली हमलों और नक्सलियों के गढ़ के रूप में कुख्यात रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर की पहचान अब बदल रही है।...

एक तो हमारे समाज में शिक्षकों का दर्जा ऐसे ही भगवान से भी ऊंचा माना जाता है। इनका कर्म और धर्म ही है अज्ञान के अंधेरे को ज्ञान के आलोक से प्रकाशित करना। पर, मुश्किल हालात में, जान हथेली पर लेकर अपने छात्रों को शिक्षा और सुरक्षा दोनों मुहैया कराने वाले शिक्षक विरले ही मिलते हैं।

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