Raj Kapoor Death Anniversary: बॉलीवुड के ‘द ग्रेटेस्ट शोमैन ऑफ इंडियन सिनेमा’ थे राज कपूर

राजकपूर (Raj Kapoor) आखिरी बार लोगों के बीच तब आए जब उन्हें उनकी ताउम्र कामयाबी के लिए ‘दादा साहेब फालके अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। राज कपूर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से सीधे सिरी फोर्ट आडिटोरियम लाया गया था और राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन मंच से उतरकर राज कपूर का हाथ पकड़कर उन्हें मंच पर ले गए ।

राजकपूर Raj Kapoor

Bollywood Showman Raj kapoor death Anniversary

Raj Kapoor Death Anniversary: एक समय था जब दुनिया के लोग भारत को सांपों और संन्यासियों के देश के रूप में जानते थे तब एक शख्स ने दुनिया को हिंदुस्तान का दिल दिखाया और भारत को राज कपूर (Raj Kapoor) के देश के रूप में जाना जाने लगा। भारत ने विश्व स्तर पर चाहे जो छवि बनाई हो और उसके जो भी नए प्रतीक हों, लेकिन इतना तय है कि चीन, पूर्व सोवियत संघ और मिस्र जैसे देशों में राज कपूर हमेशा के लिए भारत का प्रतीक बने रहेंगे। चीन के सबसे बड़े नेता माओ त्से तुंग ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि ‘आवारा’ उनकी सवार्धिक पसंदीदा फिल्म थी। शायद यही कारण है कि आज भी पेइचिंग और मास्को की सड़कों पर घूमते-टहलते हुए ‘आवारा हूँ’ गीत सुनाई पड़ने लगते हैं। यह राज कपूर की लोकप्रियता के विशाल दायरे का एक उदाहरण मात्र है। राज कपूर की लोकप्रियता का राज संभवत यह है कि उन्होंने पहली बार रूपहले परदे पर गरीब और लाचार भारतीय को साकार करके भारतीय सिनेमा की एक नई धारा की शुरुआत की। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के सबसे सफल फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राज कपूर भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े शो मैन कहलाते हैं।

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राज कपूर का जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था वह थिएटर और सिनेमा के भीष्म पितामह माने जानेवाले पृथ्वीराज कपूर के सबसे बड़े बेटे थे उनका पूरा नाम रणबीर राज कपूर (Raj Kapoor) था उन्होंने सन् 1935 में मात्र 11 वर्ष की उम्र में फिल्म ‘इंकलाब’ में अभिनय किया था उस समय वह ‘बॉम्बे टॉकीज’ स्टुडियो में सहायक (हेल्पर) का काम करते थे। बाद में वह केदार शर्मा के साथ क्लैपर ब्वॉय का कार्य करने लगे। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर को विश्वास नहीं था कि राज कपूर कुछ विशेष कार्य कर पाएँगे, इसीलिए उन्होंने हेल्पर और क्लैपर ब्वॉय जैसे छोटे-मोटे कामों में लगवा दिया था, लेकिन उस समय के मशहूर निर्देशक केदार शर्मा ने राज कपूर (Raj Kapoor) के भीतर के अभिनय क्षमता और लगन को पहचाना और उन्हें सन् 1947 में अपनी फिल्म ‘नीलकमल’ में, जिसकी नायिका मधुबाला थी, नायक की भूमिका दे दी। यह फिल्म बॉक्स आफिस पर हिट हुई और मधुबाला के साथ-साथ राज कपूर (Raj Kapoor) भी फिल्मी दुनिया में स्थापित हो गए।

राज कपूर ने 24 साल की उम्र में ही सन् 1948 में अपना स्टुडियो ‘आर. के. फिल्मस’ की स्थापना कर ली और उस समय के सबसे कम उम्र के निर्देशक बन गए। सन् 1948 में उन्होंने पहली बार फिल्म ‘आग’ का निर्देशन किया, जो अपने समय की सफलतम फिल्म साबित हुई। राज कपूर (Raj Kapoor) ने सन् 1948 से 1988 के दौरान अनेक सफल फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें अधिकतम बॉक्स आफिस पर सुपर हिट रहीं। अपने निर्देशन में बनी अधिकतर फिल्मों में उन्होंने हीरो का रोल निभाया। राज कपूर (Raj Kapoor) और नरगिस की जोड़ी सफलतम फिल्मी जोडियों से एक थी। इन दोनों ने ‘आह’, ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘श्री 420’ और ‘चोरी-चोरी’ जैसी कई फिल्मों में एक साथ काम किया था।

उनकी एक महत्वपूर्ण फिल्म ‘जागते रहो’ का 1959 में प्रतिष्ठित ‘ग्रांड प्रिक्स अवार्ड’ मिला। राज कपूर (Raj Kapoor) बर्लिन (1966) और मास्को (1969) में आयोजित महत्वपूर्ण फिल्मोत्सवों में जूरी सदस्य रहे। ‘जिस देश में गंगा बहती है’ (1961), ‘संगम’ और ‘मेरा नाम जोकर’ (1970) उनकी अन्य महत्वपूर्ण फिल्में हैं। राज कपूर अपने जीवन के आखिरी साँस तक महत्त्वपूर्ण बने रहे। राज कपूर (Raj Kapoor) आखिरी बार लोगों के बीच तब आए जब उन्हें उनकी ताउम्र कामयाबी के लिए ‘दादा साहेब फालके अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। राज कपूर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से सीधे सिरी फोर्ट आडिटोरियम लाया गया था और राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन मंच से उतरकर राज कपूर का हाथ पकड़कर उन्हें मंच पर ले गए। इसके एक माह बाद ही 2 जून 1988 को राज कपूर का निधन हो गया।

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