VRS के बारे में कितना जानते हैं आप? जानें बिहार के पूर्व DGP ने कैसे इस स्कीम का फायदा उठाया

VRS यानी Voluntary Retirement Scheme, जिसे हिंदी में ‘स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना’ कहा जाता है। यह सरकारी और गैर सरकारी संस्था दोनों पर ही लागू होता है

वीआरएस VRS क्या होता है

फाइल फोटो।

VRS यानी Voluntary Retirement Scheme, जिसे हिंदी में ‘स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना’ कहा जाता है। बिहार पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय (Ex. DGP Gupteshwar Pandey) ने मंगलवार को VRS यानी स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली. जिसके बाद से वो चर्चा में बने हुए हैं। 

सरकारी संगठन में कर्मचारियों की संख्या को कम करने या संगठन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार के द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) को लाया जाता है।

बिहार (Bihar) के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं। दरअसल, उन्होंने पुलिस सेवा से वीआरएस (VRS) ले लिया है। प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार (Nitish Kumar Government) ने इसे मंजूर भी कर लिया है। गुप्तेश्वर पांडेय ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही रिटायरमेंट (वीआरएस) ले लिया। वीआरएस (VRS) शब्द आजकल चर्चा में है। आइए जानते हैं VRS के बारे में विस्तार से-

VRS यानी Voluntary Retirement Scheme, जिसे हिंदी में ‘स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना’ कहा जाता है। यह सरकारी और गैर सरकारी संस्था दोनों पर ही लागू होता है। सरकारी नौकरी में कार्यरत कर्मचारियों के लिए भारत सरकार या राज्य सरकार के द्वारा समय- समय पर कई योजनाओं को लागू किया जाता है।

बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय के पास 14 सीटों से चुनाव लड़ने का ऑफर, दिया ये बयान

सरकारी संगठन में कर्मचारियों की संख्या को कम करने या संगठन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार के द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना को लाया जाता है। इसमें 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके या उससे अधिक की आयु के कर्मचारियों को इस योजना के लिए पात्र माना जाता है। इस योजना का लाभ केवल नियमित और स्थायी कर्मचारी के द्वारा ही लिया जा सकता है।

ये हैं वीआरएस (VRS) के नियम-

-वीआरएस (VRS) में पचास वर्ष की आयु अथवा बीस साल तक क्वालीफाइंग सर्विस पूरा कर चुके कर्मचारी ही भाग ले सकते है।

-सरकारी कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्राप्त करना चाहते है उन्हें नियुक्ति प्राधिकारी को प्रत्यक्ष रूप से तीन महीने पहले नोटिस देना अनिवार्य होता है।

-नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा समय की गणना नोटिस प्राप्त होने की तिथि से की जाती है।

-वीआरएस (VRS) प्राप्त करने के लिए कर्मचारी को नियुक्ति प्राधिकारी संतुष्ट करना होता है कि उसने क्वालीफाइंग सर्विस को पूरा कर लिया है, नियुक्ति प्राधिकारी संतुष्ट होने के पश्चात अपनी स्वीकृति प्रदान करता है।

-कर्मचारी को वीआरएस प्राप्त करने पर उन्हें जो कंपनसेशन प्राप्त होता है वह उनकी सैलरी हेड से इनकम मानी जाती है। यह आय “Profit in lieu of salary” के अनुसार टैक्सेबल होती है।

-इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 10 (10 C) के अनुसार VRS में प्राप्त कम्पेन्सेशन की अधिकतम 5 लाख की छूट प्राप्त की जा सकती है।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें