Union Budget 2021: बजट को समझने के लिए जरूरी है इन 10 शब्दों के बारे में जानना

Union Budget 2021: आज का दिन देश के लिए खास है क्योंकि आज देश का बजट पेश हुआ है। ऐसे में देश के हर वर्ग का व्यक्ति उत्साहित है

Union Budget 2021

Union Budget 2021: हम आपको उन 10 शब्दों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें नहीं जानने पर आपको बजट समझने में परेशानी होगी। बजट में इन शब्दों का प्रयोग काफी होता है। 

नई दिल्ली: आज का दिन देश के लिए खास है क्योंकि आज देश का बजट (Union Budget 2021) पेश हुआ है। ऐसे में देश के हर वर्ग का व्यक्ति उत्साहित है क्योंकि बजट हर नागरिक के जीवन को प्रभावित करता है। हम आपको उन 10 शब्दों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें नहीं जानने पर आपको बजट समझने में परेशानी होगी।

1- वित्तीय वर्ष: एक अप्रैल से अगले साल 31 मार्च तक का समय वित्तीय वर्ष कहलाता है। हालांकि कई बार ये मांग उठी है कि वित्तीय वर्ष को जनवरी से शुरू करके दिसंबर पर खत्म करना चाहिए। लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।

2- सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी): एक वित्तीय वर्ष में देश में उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं के कुल जोड़ को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कहते हैं। अगर ये बढ़ती है तो माना जाता है कि अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है और तरक्की कर रही है।

3- सब्सिडी: सरकार, आम लोगों को कुछ आर्थिक लाभ देती है, जिसे सब्सिडी कहा जाता है। जैसे एलपीजी सिलेंडर गरीबों को सस्ता पड़ता है। इस तरह की कई योजनाओं के द्वारा सरकार आम जनता को आर्थिक लाभ देती है।

4- उपकर और अधिभार (सेस और सरचार्ज): टैक्स के साथ किसी विशेष उद्देश्य के लिए धन जमा करने के लिए उपकर (सेस) लगाया जाता है। जैसे स्वच्छ भार सेस, कृषि कल्याण सेस आदि। वहीं अधिभार (सरचार्ज) कर के ऊपर लगने वाला कर ही है, जिसका कैलकुलेशन कर लाइबिलिटी के आधार पर होता है। जैसे इनकम टैक्स के ऊपर लगाया जाने वाला टैक्स।

5- कर (टैक्स): सरकार खर्चों को चलाने के लिए नागरिक और वस्तुओं पर टैक्स लगाती है। इन पैसों से सरकार अपनी पूरी व्यवस्था को चलाती है। टैक्स 2 तरह के होते हैं। डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स। डायरेक्स टैक्स वह होते हैं, जिन्हें सरकार नागरिकों से सीधे वसूलती है, जैसे इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स आदि। वहीं इनडायरेक्ट टैक्स वह होते हैं, जिन्हें जनता से सीधे नहीं लिया जाता, लेकिन उसका बोझ जनता पर पड़ता है। जैसे एक्साइज, कस्टम आदि।

6- उत्पाद शुल्क ( एक्साइड ड्यूटी): देश में जो भी उत्पाद बनते हैं, उन पर सरकार एक्साइज ड्यूटी वसूल करती है। इसे अब GST में शामिल कर लिया गया है। भारत का प्रत्येक नागरिक जो भी वस्तु खरीदता है, उस पर सरकार ये टैक्स लेती है।

7- सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी): देश में आयात या निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर सरकार सीमा शुल्क वसूल करती है।

8- राजकोषीय नीति और राजकोषीय घाटा: राजकोषीय नीति, सरकार की आय, व्यय, कर, लोन आदि से संबंधित होती है। वहीं सरकार की सालाना आमदनी से अगर खर्च ज्यादा है तो इसे राजकोषीय घाटा कहते हैं।

9- आयकर (इनकम टैक्स): आयकर, हर व्यक्ति की आय, इंवेस्टमेंट और उस पर जो ब्याज मिलता है, उस पर लगाया जाता है।

10- कॉरपोरेट टैक्स: कॉरपोरेट कंपनियों और फर्मों पर जो टैक्स लगाया जाता है, उसे कॉरपोरेट टैक्स कहते हैं।

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