26 मई 2013: नक्सलियों ने इसी दिन किया था झीरम घाटी में हमला, नेताओं के शवों पर चढ़कर किया था डांस

कांग्रेसी नेताओं का काफिला शाम 4 बजे के करीब झीरम घाटी से गुजर रहा था, तभी नक्सलियों (Naxalites) ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं।

Naxalites

सांकेतिक तस्वीर

कांग्रेसी नेताओं का काफिला शाम 4 बजे के करीब झीरम घाटी से गुजर रहा था, तभी नक्सलियों (Naxalites) ने पेड़ गिराकर पहले इनका रास्ता रोका और फिर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने लगे।

रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक बड़ी समस्या है। जब भी इस राज्य में नक्सलवाद का जिक्र होता है तो साल 2013 में झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले का जिक्र जरूर आता है। देश के इतिहास में इसे सबसे खौफनाक नक्सली हमले के रूप में जाना जाता है। इस हमले में नक्सलियों ने कई कांग्रेसी नेताओं को मौत के घाट उतार दिया गया था। आज यानी 26 मई को ही नक्सलियों ने झीरम घाटी में इस खूनी खेल को अंजाम दिया था।

साल 2013 में 26 मई के दिन हुआ क्या था?

छत्तीसगढ़ में साल 2013 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। यहां बीते 2 चुनावों में बीजेपी का वर्चस्व कायम रहा था, इसलिए इस चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करना चाहती थी और उसने इन चुनावों में पूरी ताकत झोंक दी थी। इसी के तहत कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में परिवर्तन यात्रा निकालने की रणनीति बनाई थी। कांग्रेस ने अपनी परिवर्तन यात्रा की शुरुआत 25 मई 2013 को सुकमा से की थी।

कहा जाता है कि कांग्रेस के नेता रैली खत्म करके सुकमा से जगदलपुर लौट रहे थे। कांग्रेसी नेताओं के इस काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं, जिनमें करीब 200 कांग्रेसी शामिल थे। इनमें मुख्य रूप से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा थे। इसके अलावा महेंद्र कर्मा और मलकीत सिंह गैदू की भी गाड़ियां रैली से वापस लौट रही थीं। बस्तर के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार समेत कई सीनियर नेता इस काफिले में मौजूद थे।

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जब इन कांग्रेसी नेताओं का काफिला शाम 4 बजे के करीब झीरम घाटी से गुजर रहा था, तभी नक्सलियों ने पेड़ गिराकर पहले इनका रास्ता रोका और फिर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने लगे। किसी कांग्रेसी नेता को ये समझ ही नहीं आया कि ये हो क्या रहा है और ना ही किसी को संभलने का मौका मिला। नक्सलियों ने करीब डेढ़ घंटे तक ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश की मौके पर ही मौत हो गई।

नक्सलियों ने बेरहमी से की थी नेताओं की हत्या

डेढ़ घंटे तक गाड़ियों पर गोलियां बरसाने के बाद नक्सली (Naxalites) एक-एक गाड़ी चेक करने लगे। गाड़ियों में पड़े शवों को नक्सली चाकू मारकर ये कंफर्म कर रहे थे, कि कोई भी जिंदा ना बच पाए। लेकिन जो किसी तरह जिंदा बच गए, नक्सलियों ने उन्हें बंधक बना लिया।

इस बीच कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा किसी तरह बच गए तो उन्होंने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें भी बंधक बना लो। लेकिन नक्सलियों ने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं समेत सुरक्षाबलों के कई जवानों को मौत के घाट उतार दिया।

सलवा जुडूम का नेतृत्व करने की वजह से नक्सली (Naxalites), महेंद्र कर्मा को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे। इसलिए नक्सलियों ने उनके शरीर में 100 गोलियां मारी थीं और चाकू से 50 से ज्यादा वार किए थे। नक्सलियों की हैवानियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शवों के ऊपर चढ़कर नक्सलियों ने डांस किया था और इस नक्सली हमले का जश्न मनाया था।

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