झारखंड: नक्सलियों ने छिपाकर लगाए हैं लैंडमाइंस, सुरक्षाबल मुस्तैद

बीते 13 दिनों में दो ग्रामीणों की मौत के साथ-साथ तीन सुरक्षाकर्मी और एक ग्रामीण गंभीर रूप से घायल। नक्सलियों द्वारा सड़कों के साथ-साथ पर्यटन स्थलों पर भी किया जा सकता है खून खराबा, सुरक्षाबल मुस्तैद।

Naxals

सुरक्षाबलों के लिए नक्सलियों (Naxals) द्वारा बिछाए गए लैंडमाइन्स (Landmines) ग्रामीणों के लिए बन गए हैं काल।

सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए नक्सलियों (Naxals) द्वारा बिछाए गए लैंडमाइंस (Landmines) ग्रामीणों के लिए बन गए हैं काल।

बीते 13 दिनों में दो ग्रामीणों की मौत के साथ-साथ तीन सुरक्षाकर्मी और एक ग्रामीण गंभीर रूप से घायल।

नक्सलियों द्वारा सड़कों के साथ-साथ पर्यटन स्थलों पर भी किया जा सकता है खून खराबा, सुरक्षाबल मुस्तैद।

Naxals
सांकेतिक तस्वीर।

झारखंड में नक्सलियों (Naxals) का उत्पात आए दिन देखने को मिल रहा है। बीते 13 दिनों में झारखंड के विभिन्न इलाकों में लैंडमाइंस (Landmines) के द्वारा दो ग्रामीणों की मौत और तीन सुरक्षाकर्मी के साथ-साथ एक ग्रामीण को भी इसका शिकार होना पड़ा है। झारखंड में नक्सलियों द्वारा लैंडमाइंस विस्फोट में लगभग दर्जनों सीआरपीएफ और सुरक्षाबलों के जवान शहीद हो चुके हैं। इसके साथ-साथ ग्रामीण भी इनके लैंडमाइंस विस्फोट के चपेट में आ रहे हैं। हाल की घटनाओं पर नजर डालें तो 13 दिसंबर को नक्सलियों (Naxals) के आईडी ब्लास्ट से सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के 2 जवान घायल हो गए थे।

इसी दिन लोहरदगा के इसरार थाना क्षेत्र के बुलबुल जंगल में आईईडी (IED) विस्फोट करने से ग्रामीण अथवा पहाड़िया की मौत हो गई थी, जबकि सूरज पहाड़िया घायल हो गए थे। वहीं 23 दिसंबर को लोहरदगा के केकरान घाटी में झरना के पास ही लकड़ी चुने गए एक छोटी सी लड़की की मौत आईडी ब्लास्ट के कारण हो गई। इसके अलावा 25 दिसंबर को लैंडमाइंस (Landmines) विस्फोट में सीआरपीएफ 158 बटालियन का जवान घायल हो गया। ये घटनाएं सिर्फ दिसंबर 2019 की हैं।

नक्सलियों (Naxals) द्वारा लैंडमाइंस इस तरह से प्लांट किया जाता है कि कोबरा बटालियन को भी पता करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। नक्सलियों द्वारा लैंडमाइंस (Landmines) विस्फोट की घटनाओं पर नजर डालें तो 2004 में एक घटना, 2005 में एक घटना, 2009 में 10 बड़ी घटनाएं और 2014 में दो बड़ी घटनाएं हुई हैं। वहीं 2019 में नक्सलियों (Naxals) ने लैंडमाइंस विस्फोट की तीन बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। इन घटनाओं को देखते हुए सुरक्षाबल मुस्तैद हो गए हैं। इलाके में जवान लगातार गश्त कर रहे हैं।

आइए डालते हैं एक नजर अब तक की घटनाओं पर-

7 अप्रैल, 2004: चाईबासा के गोवा थाना क्षेत्र के बेलवा गांव में नक्सलियों ने आईईडी विस्फोट कर सीआरपीएफ और जिला बल के जवानों को निशाना बनाया था। इसमें 20 सीआरपीएफ के जवान और जिला बल के 9 जवान शहीद हो गए थे जबकि सीआरपीएफ के 3 जवान घायल हो गए।

7 फरवरी, 2005: पलामू जिले के बस हर मीटर में कच्ची सड़क पर नक्सलियों द्वारा बारूदी सुरंग विस्फोट किया गया था, जिसमें बीएसएफ का 1 जवान शहीद हो गया था, जबकि तीन पुलिसकर्मी एवं एक ग्रामीण घायल हो गए थे।

16 अप्रैल, 2009: झारखंड के लातेहार के चंदवा थाना क्षेत्र के अंतर्गत लाघुप गांव में नक्सलियों ने आईईडी (IED) विस्फोट कर बीएसएफ के बस को उड़ा दिया गया था जिसमें बीएसएफ के P3 बटालियन कंपनी के 6 जवान शहीद हो गए थे।

17 अप्रैल, 2009: लातेहार के औरैया गांव में आईईडी विस्फोट कर नक्सलियों (Naxals) ने बीएसएफ को अपना निशाना बनाया, जिसमें बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया और 3 घायल हो गए थे।

19 नवंबर, 2009: नक्सलियों द्वारा जमशेदपुर अंतर्गत गुड़ाबांधा थाना के भाखर में एक कच्ची सड़क पर लैंडमाइंस (Landmines) विस्फोट किया गया था। इस घटना में एक दारोगा शहीद हो गए थे जबकि 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

22 नवंबर, 2009: झारखंड के गुमला जिले के बिशनपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत लापू में नक्सलियों ने लैंडमाइंन विस्फोट किया था, जिसमें सीआरपीएफ के वाहन को उड़ा दिया गया था। इस घटना में सीआरपीएफ के 2 जवान शहीद हो गए थे। चालक की मौत भी घटनास्थल पर ही हो गई थी।

26 नवंबर, 2009: नक्सलियों (Naxals) ने खूंटी थाना क्षेत्र के जरगा पुल के पास लैंडमाइंस (Landmines) विस्फोट कर पुलिस वाहन को उड़ा दिया गया था, जिसमें थानेदार एएसआई और चालक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हालांकि इस घटना में किसी की मौत नहीं हुई थी।

2 दिसंबर, 2009: इस दिन झारखंड के गिरिडीह जिले के बेटा थाना क्षेत्र अंतर्गत तेलिया बहिया नाला के पास नक्सलियों द्वारा लैंडमाइन विस्फोट किया गया था, जिसमें सीआरपीएफ 153 बटालियन का एक जवान हरिपाल सिंह शहीद हो गया था।

14 दिसंबर, 2009: नक्सलियों ने लोहरदगा के किस्को थाना क्षेत्र अंतर्गत केकरांग घाटी में लैंडमाइंन विस्फोट किया गया था, जिसमें एक हवलदार और एक सिपाही की मौत हो गई थी।

16 दिसंबर, 2009: झारखंड के गढ़वा के रंग का थाना अंतर्गत तसरार घाटी में नक्सलियों (Naxals) ने तत्कालीन राजद नेता गिरिनाथ सिंह की पुलिस एस्कॉर्ट को उड़ा दिया था, जिसमें जेप के एक हवलदार और एक जवान सहित चालक घायल हो गए थे।

18 दिसंबर, 2009: झारखंड के 2 जिलों में नक्सलियों (Naxals) ने जमकर तांडव मचाया था एवं आईईडी (IED) विस्फोट किया था। पहली घटना चाईबासा के गोवा थाना के तितली घाट में हुई थी। यहां नक्सलियों के लैंडमाइन विस्फोट से सीआरपीएफ के 85 बटालियन के 1 जवान रंजीत कुमार शहीद हो गए थे। वहीं दूसरी घटना पलामू के मोहम्मद गंज थाना अंतर्गत सीताचुवा में हुई थी। यहां नक्सलियों के लैंडमाइन विस्फोट से जेप 6 के एक हवलदार की मौत हो गई थी। वहीं एक दरोगा और एक चौकीदार जख्मी हो गए थे।

2 मार्च, 2012: इस दिन नक्सलियों द्वारा पलामू के छतरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत मधय भलही गांव में पेट्रोलिंग पार्टी को निशाना बनाते हुए नक्सलियों ने आईईडी (IED) विस्फोट किया था, जिसमें 6 पुलिसकर्मी और एक चालक शहीद हो गए थे।

24 अप्रैल, 2014: यह दुमका जिले के लिए काला दिन माना जाता है। इस दिन शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के पलासी सरसाजोल में नक्सलियों ने लैंडमाइंस (Landmines) विस्फोट कर पेट्रोलिंग पार्टी की बस उड़ा दी थी। इसके बाद घात लगाए नक्सलियों (Naxals) ने हमला किया था। घटना में पोलिंग पार्टी के 8 जवान और 3 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

13 दिसंबर, 2019: लोहरदगा जिले के बुलबुल जंगल में नक्सलियों के आईईडी (IED) ब्लास्ट में एक ग्रामीण एतवा पहाड़िया की मौत हो गई और सूरज पहाड़ियां घायल हो गए।

23 दिसंबर, 2019: नक्सलियों द्वारा पहले से ही जंगलों में प्लांट किए गए प्रेशर बम का शिकार लकड़ी चुनने गई एक युवती हो गई। जिससे उसके चिथड़े उड़ गए।

25 दिसंबर, 2019: झारखंड के लोहरदगा पेशरार मुख्य पथ पर केकरांग के समीप घाटी क्षेत्र में नक्सलियों (Naxals) ने लैंडमाइन विस्फोट किया, जिसमें सीआरपीएफ के 158 बटालियन का एक जवान घायल हो गया था।

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