
Naxalites
झारखंड में नक्सली संगठन द्वारा खुद को मजबूत करने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। कैडरों की कमी को पूरी करने के लिए नक्सलियों (Naxalites) द्वारा गांव-गांव में लौटे प्रवासी मजदूरों को संगठन से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। नक्सलियों ने चाईबासा से लेकर नक्सलियों के वर्चस्व वाले गढ़वा के बूढ़ापहाड़ इलाके तक गांवों में प्रवासियों को संगठन से जुड़ने की नसीहत दी।
नक्सलियों (Naxalites) की हर घर से एक सदस्य की मांग
बूढ़ापहाड़ इलाके में नक्सली स्थापना दिवस के मौके पर नक्सली कमांडरों ने गांव के प्रत्येक परिवार से एक-एक सदस्य की मांग की थी। हालांकि राज्य पुलिस मुख्यालय का दावा है कि नक्सलियों (Naxalites) की अपील का अब-तक गांव वालों पर कोई असर नहीं पड़ा है। बीते दिनों पुलिस मुख्यालय में प्रेस को संबोधित करने हुए डीजीपी एमवी राव ने दावा किया था कि नक्सली संगठन में नई रिक्रूटमेंट नहीं हुई है। चाईबासा में नक्सली संगठन से युवाओं को जोड़ने का विरोध गांव वालों ने किया था।
नक्सली संगठन ने खुद को मजबूत करने के लिए जो रणनीति बनायी है, उसके मुताबिक गांव-गांव में नक्सलियों (Naxalites) के फ्रंटल आर्गेनाजेशन की बुनियाद फिर से खड़ी करनी है। नक्सलियों ने रांची के तमाड़, चाईबासा व सरायकेला में पोस्टरबाजी कर ग्राम मिलिशिया कमेटी को मजबूत करने व इस संगठन को गांव-गांव में खड़ा करने के लक्ष्य की जानकारी दी थी। नक्सलियों (Naxalites) की अधिकांश एरिया कमेटी झारखंड में काम नहीं कर रही थी। अब वे नए कैडरों को जोड़कर एरिया कमेटी को मजबूत करने में भी जुटे हैं। वहीं, नक्सली नेताओं के कार्यक्षेत्र को बदल कर भी संगठन को मजबूत करने का फैसला नक्सलियों ने किया है।
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मौजूदा समय में एक करोड़ के इनामी अनल उर्फ पतिराम मांझी, आकाश मंडल उर्फ तिमिर, पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा सरायकेला-खरसांवा, चाईबासा व खूंटी की सीमावर्ती इलाके में कैंप कर रहे हैं। वहीं नक्सली संगठन ने बिहार के नक्सली नेता विवेक आर्या को भी कोयलशंख जोन का प्रभार दिया है, जबकि गढ़वा, लातेहार व छत्तीसगढ़ के बलरामपुर तक फैले बूढ़ापहाड़ की जिम्मेदारी रोहित को दी गई है। बोकारो के मिथलेश को भी कोयलशंख जोन में तैनात किया गया है। पश्चिम बंगाल के नक्सली आकाश मंडल, अनिल महतो के दस्ते के सदस्य भी कोल्हान में ही कैंप कर रहे हैं।
नक्सली पुलिस से सीधी मुठभेड़ से बच रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, नक्सली प्रभाव वाले इलाकों में पुलिस की गतिविधियों पर नक्सलियों की नजर होती है। बाजार या सुनसान इलाकों में पुलिस की ढीले रवैये का फायदा नक्सली उठा रहे हैं। बीते साल से लेकर अब-तक पुलिसबलों पर हमले पुलिस की ढीले रवैये का ही फायदा उठाकर किए गए हैं। राज्य पुलिस मुख्यालय में इसे लेकर पहले भी अलर्ट जारी किए गए थे। लोहरदगा में भी गश्ती दल पर नक्सलियों (Naxalites) ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत ही हमला किया था।
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