झारखंड: पिछले 5 सालों की तुलना में इस साल राज्य में कम हुईं नक्सली घटनाएं

झारखंड से नक्सलवाद (Naxalism) के खात्मे के लिए सरकार कमर कस चुकी है। राज्य में में नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार सुरक्षाबलों के द्वारा अभियान चलाया जा रहा है।

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झारखंड से नक्सलवाद (Naxalism) के खात्मे के लिए सरकार कमर कस चुकी है। राज्य में में नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार सुरक्षाबलों के द्वारा अभियान चलाया जा रहा है।

झारखंड से नक्सलवाद (Naxalism) के खात्मे के लिए सरकार कमर कस चुकी है। राज्य में में नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार सुरक्षाबलों के द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। नक्सलवाद अभी भी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। इस साल अब तक राज्य में नक्सली घटनाएं कम हुई हैं। लेकिन इन घटनाओं में पुलिस-प्रशासन को ज्यादा नुकसान पहुंचा है।

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सांकेतिक तस्वीर।

पिछले 5 सालों में नक्सलवाद (Naxalism) घटनाएं कम हुई हैं लेकिन पुलिस जवानों को इसका ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। ‘News Wing’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों की नक्सली घटनाओं के आंकड़ों पर ध्यान दें तो साल 2014 में 231, 2015 में 196, 2016 में 196, 2017 में 186, 2018 में 118 और साल 2019 में अब तक 96 नक्सली घटनाएं सामने आई हैं। इन पांच सालों में कई नक्सली भी मारे गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में 10, 2015 में 25, साल 2016 में 21, 2017 में 12, 2018 में 26 और साल 2019 में अब तक 26 नक्सली मारे गए हैं। झारखंड पुलिस का कहना है कि झारखंड में अब सिर्फ 550 नक्सली बचे हैं।

इन 550 नक्सलियों से लड़ने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबल लगे हुए हैं। जिनमें सीआरपीएफ की 122 कंपनियां, आइआरबी की 5 कंपनियां और झारखंड जगुआर की 40 कंपनियां लगी हुई हैं। समय-समय पर माओवादी छोटी-बड़ी घटना को अंजाम देकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहते हैं। झारखंड में अब नक्सली कमजोर पड़ गए हैं और झारखंड पुलिस लगातार नक्सलियों के खात्मे के लिए अभियान चला रही है। बता दें कि देश के 30 नक्सलवाद (Naxalism) प्रभावित जिलों में 13 जिले झारखंड के हैं, जो सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल हैं। सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों के मामले में झारखंड पहले स्थान पर है, वहीं छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ में 8 जिले सर्वाधिक नक्सल प्रभावित हैं।

झारखंड के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में खूंटी, गुमला, लातेहार, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम, रांची, दुमका, गिरिडीह, पलामू, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा और बोकारो शामिल हैं। सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग, धनबाद, गोड्डा भी नक्सलवाद (Naxalism) की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं, कम संवदेनशील जिलों में कोडरमा, जामताड़ा, पाकुड़ और रामगढ़ हैं। जबकि देवघर-साहेबगंज नक्सल प्रभावित नहीं माना गया है। हालांकि यहां भी छिटपुट नक्सली घटनाएं होती हैं। बहरहाल, पुलिस, प्रशासन और सरकार राज्य से नक्सलवाद (Naxalism) के खात्मे के लिए पूरी तैयारी में है। साथ ही केन्द्र सरकार का भी पूरा साथ मिल रहा है।

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