साम, दाम के बजाय चीन को अब दंड से समझायेगा भारत, पीएम मोदी ने NSA अजीत डोभाल और तीनों सेनाध्यक्षों से की युद्ध की रणनीति पर चर्चा

भारत और चीन के बीच पिछले 20 दिनों से जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेना (Indian Army) ने उत्तरी सिक्किम‚ उत्तराखंड़ और अरूणाचल प्रदेश के साथ लद्दाख से जुड़े संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी को मजबूत बनाया है‚

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India China Border Tension: भारत और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव बढ़ने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Dobhal)‚ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की‚ जिसमें बाह्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये भारत (India) की सैन्य तैयारियों को मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।  सरकारी सूत्रों ने इस आशय की जानकारी दी।

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ऐसा माना जा रहा है कि शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) को पूर्वी लद्दाख (Laddakh) में उभरती स्थिति की जानकारी दी। हालांकि‚ अधिकारियों का कहना है कि पूर्व निर्धारित बैठक का एजेंडा महत्वाकांक्षी सैन्य सुधार और भारत की सैन्य ताकत को मजबूत बनाने के बारे में चर्चा करना था। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब कुछ ही घंटे पहले चारों जनरलों ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पैंगोंग सो झील‚ गलवान घाटी‚ डेमचोक और दौलत बेग ओल्ड़ी की स्थिति के बारे में जानकारी दी‚ जहां पिछले करीब 20 दिनों से भारत (India) और चीन (India) के सैनिक आक्रामक रुख अपनाये हुए हैं।

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सेना के अधिकारियों के अनुसार, इस बैठक में प्रधानमंत्री (PM Narendra Modi) को लद्दाख की स्थिति से अवगत कराया गया। हालांकि‚ इस बैठक के बारे में कोई आधिकारिक टिप्पणी या ब्योरा नहीं आया है। पीएमओ की इस बैठक में पीएम मोदी ने NSA अजित डोभाल की मौजूदगी में तीनों सेनाध्यक्षों से युद्ध का ब्लूप्रिटं तैयार करने को कहा है साथ ही चीनी सीमा पर चीन के सैनिकों से दोगुना भारतीय सैनिकों की तैनाती का हुक्म दिया है।

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल लद्दाख (Laddakh) और उत्तरी सिक्किम एवं उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उभरती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। एक अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया‚ “ भारत पर सैन्य दबाव बनाने की चीन की रणनीति काम नहीं करेगी। हम वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति कायम रखना चाहते हैं।”

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत‚ चीन से लगने वाली 3500 किलोमीटर की सीमा पर सामरिक क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास की परियोजनाओं को नहीं रोकेगा और चीन के इन्हें रोकने के किसी तरह के दबाव में नहीं आएगा।

समझा जाता है कि रक्षा मंत्री ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ पहले ही कह दिया है कि लद्दाख (Laddakh) ‚ सिक्किम‚ उत्तराखंड़ या अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर किसी भी महत्वपूर्ण परियोजना के क्रियान्वयन की समीक्षा करने की कोई जरूरत नहीं है।

सूत्रों ने बताया कि भारत और चीन के बीच पिछले 20 दिनों से जारी गतिरोध के बीच भारतीय सेना (Indian Army) ने उत्तरी सिक्किम‚ उत्तराखंड़ और अरूणाचल प्रदेश के साथ लद्दाख से जुड़े संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी को मजबूत बनाया है‚ जो ऐसा संदेश देने के लिये है कि भारत‚ चीन के आक्रामक सैन्य रुख के दबाव में बिल्कुल नहीं आएगा।

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