जयंती विशेष: दलित और पिछड़ी जाति के दर्द को समझते थे छत्रपति शाहू महाराज, किया था ये खास काम

शाहू जी (Chhatrapati Shahu Maharaj) ने 1911 में ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना की। कोल्हापुर में सत्यशोधक पाठशाला चलाई। इससे पहले 1873 में ज्योतिबा फुले भी महाराष्ट्र में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना कर चुके थे। जाति-पाति के विरुद्ध इसी आंदोलन को शाहू जी ने अपनी रियासत में आगे बढ़ाया।

Chhatrapati Shahu Maharaj

Chhatrapati Shahu Maharaj birth Anniversary II छत्रपति साहू महाराज जयंती

Chhatrapati Shahu Maharaj Birth Anniversary: छत्रपति शाहू महाराज एक समाज सुधारक व्यक्ति थे जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उससे निकटता बनाए रहे। शाहू जी का जन्म 26 जुलाई, 1874 ई. को हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीमंत जयसिंह राव आबासाहब घाटले था। छत्रपति का बचपन का नाम यशवंत राव था। उनकी शिक्षा राजकोट के राजकुमार महाविद्यालय और धारवाड़ में हुई।

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छत्रपति शाहू जी (Chhatrapati Shahu Maharaj) 1894 ई. में कोल्हापुर रियासत के राजा बने। उन्होंने देखा कि जातिवाद के कारण समाज का एक वर्ग पिस रहा है। ऐसे में उन्होंने दलितों के उद्धार के लिए योजना बनाई और उस पर अमल आरंभ किया। शाहू जी ने दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के लिए विद्यालय खोले और छात्रावास बनाए। इससे उनमें शिक्षा का प्रचार हुआ और सामाजिक स्थिति बदलने लगी। परन्तु उच्च वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया। वे छत्रपति को अपना शत्रु समझने लगे उनके राजपुरोहित तक ने कह दिया- ‘आप शूद्र हैं और शूद्र को वेद मंत्र सुनने का अधिकार नहीं है’। शाहू जी (Chhatrapati Shahu Maharaj) ने इस विरोध का डटकर सामना किया।

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समाज की इस बुराई को दूर करने के लिए शाहू जी (Chhatrapati Shahu Maharaj) ने 1911 में ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना की। कोल्हापुर में सत्यशोधक पाठशाला चलाई। इससे पहले 1873 में ज्योतिबा फुले भी महाराष्ट्र में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना कर चुके थे। जाति-पाति के विरुद्ध इसी आंदोलन को शाहू जी ने अपनी रियासत में आगे बढ़ाया। 1919 ई. में शाहू जी डॉ. अम्बेडकर के संपर्क में आए और एक वर्ष बाद मार्च 1920 में कोल्हापुर रियासत में डॉ. अम्बेडकर की अध्यक्षता में दलितों का एक सम्मेलन हुआ। उस सम्मेलन में शाहू जी (Chhatrapati Shahu Maharaj) ने यह भविष्यवाणी की थी कि डॉ. अम्बेडकर भारत के प्रथम श्रेणी के नेता के रूप में चमक उठेंगे।

शाहू जी (Chhatrapati Shahu Maharaj) के सहयोग से 1920 में नासिक में ‘विद्या व सतीगृह’ की स्थापना हुई। इस अवसर पर उन्होंने कहा- ‘जाति-भेद से ही जाति-द्वेष पैदा होता है इसलिए सबसे पहले जाति-भेद समाप्त करना चाहिए’। उन्होंने आदिवासियों को गांवों में बसाने का कार्य किया। प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और मुफ्त करने का कानून बनाया पुनर्विवाह को भी कानूनी मान्यता दी। उनका समाज के किसी वर्ग से विद्वेष नहीं था, लेकिन दलित वर्ग के प्रति उनके मन में गहरा लगाव था। दलितों का ये मसीहा छत्रपति शाहू जी का 10 मई 1922 ई. को निधन हो गया।

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