दलितों की जमीन हड़पने का केस: BJP नेता बैजयंत पांडा की मुसीबतें बढ़ीं, ओडिशा HC ने गिरफ्तारी से रोक हटाई

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा (Baijayant Panda) और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी हो सकती है। ओडिशा HC ने सभी अंतरिम आदेशों को खारिज कर दिया है।

Baijayant Panda

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा (फाइल फोटो)

बैजयंत पांडा (Baijayant Panda) और उनकी पत्नी ओडिशा इन्‍फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (ओआईपीएल) कंपनी के मालिक हैं। हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले एक आदेश पारित किया था और इन दोनों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। 

भुवनेश्‍वर: बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा (Baijayant Panda) को ओडिशा हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। ओडिशा हाईकोर्ट ने बैजयंत पांडा के स्वामित्व वाली कंपनी (जिस पर दलितों की जमीन हड़पने का आरोप है) के मामले में दखल देने से साफ इनकार कर दिया है।

इसके अलावा ओडिशा हाईकोर्ट ने पहले के सभी अंतरिम आदेशों को खारिज कर दिया है। ऐसे में अब बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा और उनकी पत्नी जागी पांडा की गिरफ्तारी हो सकती है।

बता दें कि बैजयंत पांडा (Baijayant Panda) और उनकी पत्नी ओडिशा इन्‍फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (ओआईपीएल) कंपनी के मालिक हैं। हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले एक आदेश पारित किया था और इन दोनों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। इसके बाद पांडा ने हाईकोर्ट में ये याचिका भी दी थी कि उनकी कंपनी और उनके खिलाफ जो एफआईआर दर्ज की गई है, उसे निरस्त किया जाए।

शनिवार को ही पांडा ने कहा था कि बदले की राजनीति की वजह से उन पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा था, ‘हमने कुछ गलत नहीं किया, कोर्ट में ये बात साबित होगी, हमें पूरा भरोसा है।’

बता दें कि बैजयंत पांडा को बीजू जनता दल (BJD) से 2018 में सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद 2019 में पांडा ने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद से ही पांडा अपनी गतिविधियों की वजह से सुर्खियों में रहे।

क्या है पूरा मामला, जिस पर मचा है हंगामा

इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के मुताबिक, 31 अक्‍टूबर 2020 में ओडिशा पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने पांडा की कंपनी ORTEL के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी, इसमें कंपनी पर आरोप था कि 2010 से 2013 के बीच पांडा दंपति (बैजयंत पांडा और उनकी पत्नी जागी पांडा) ने दलित समुदाय के रबिंद्र कुमार सेठी पर दबाव डाला और उन्‍हें 22 दलितों की 7.294 एकड़ जमीन खरीदने को मजबूर किया। ये जमीन ओडिशा के खुर्दा जिले में 22 दलितों की थी।

हैरानी की बात ये है कि दलित समुदाय के रबिंद्र कुमार सेठी ORTEL कंपनी में ड्राइवर के रूप में काम कर रहे थे। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठा कि आखिर कंपनी में ड्राइवर के पद पर काम करने वाला शख्स इतने बड़े सौदे कैसे कर रहा है? और अगर ये जमीनें बैजयंत पांडा और उनकी पत्नी जागी पांडा ने खरीदी हैं, तो उन्होंने दलितों की जमीन गैर दलितों को खरीदने से रोकने वाले कानून का उल्‍लंघन किया है। ओडिशा पुलिस ने इस मामले में आईपीसी और एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।

एफआईआर में इस बात का भी जिक्र है कि दलितों की ये जमीनें मार्केट रेट से 50 प्रतिशत कम की कीमत पर खरीदी गईं। जमीन की खरीद 65 लाख रुपए में दिखाई गई है लेकिन दलित समुदाय के रबिंद्र कुमार सेठी को ये रकम नहीं मिली।

सूत्रों के हवाले से ये खबर भी सामने आई कि कंपनी ने केवल ये जाहिर किया कि सौदा दलित समुदाय के रबिंद्र कुमार सेठी ने किया है, लेकिन हकीकत तो ये थी कि रबिंद्र कुमार सेठी कंपनी में बतौर ड्राइवर केवल 8 हजार रुपए पाता था।

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बता दें कि ओडिशा में कलेक्टर की इजाजत के बिना दलितों को अपनी जमीन, गैर दलितों को बेचने की इजाजत नहीं है, इसलिए पांडा की कंपनी ने रबिंद्र कुमार सेठी का इस्तेमाल किया।

ये भी बता दें कि कुछ समय पहले ही ओडिशा पुलिस के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने ओडिशा इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोरंजन सारंगी को भी गिरफ्तार किया था। मनोरंजन की गिरफ्तारी अवैध तरीके से जमीन खरीदने के मामले में की गई थी। मनोरंजन सारंगी निजी टेलीविजन चैनल ओटीवी नेटवर्क के मुख्य वित्तीय अधिकारी हैं और निजी टेलीविजन चैनल ओटीवी नेटवर्क का स्वामित्व बैजयंत पांडा के परिवार के पास है।

बता दें कि नवीन पटनायक सरकार ने अनुसूचित जाति के कुछ लोगों की शिकायत के आधार पर इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच से करने के लिए कहा था। अब ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अपनी जांच में दावा किया है कि ओडिशा इंफ्राटेक ने जमीन खरीदने के मामले में फर्जीवाड़ा किया है।

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