पुण्यतिथि विशेष: किसी भाषा और संस्कृति के दायरे में बंधी हुई नहीं थीं महाश्वेता देवी की रचनाएं
महाश्वेता देवी (Mahashweta Devi) की रचनाओं को पढ़ते हुए जमीनी हकीकत और कड़वे सच इस कदर महसूस होने लगते हैं, जो सीधे-सीधे पाठकों के दिलो-दिमाग में उतर जाते हैं।