Basant Panchami 2021: आज है सरस्वती पूजा, पढ़ें व‍िद्या की देवी की अराधना के ये मंत्र

आज बसंत पंचमी (Basant Panchami 2021) का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं। बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

Basant Panchami 2021

आज के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इस त्योहार के साथ ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसंत पंचमी (Basant Panchami 2021) के दिन लोग मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं और अपनों को बसंत पंचमी की बधाई भी देते हैं।

Basant Panchami 2021: आज बसंत पंचमी का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं। बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि आज के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इस त्योहार के साथ ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसंत पंचमी के दिन लोग मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं और अपनों को बसंत पंचमी की बधाई भी देते हैं।

बसंत पंचमी  (Basant Panchami 2021) पर देवी सरस्‍वती की आराधना के लिए खास मंत्र-

1- सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा

2- या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

3- नमस्ते शारदे देवी, सरस्वती मतिप्रदे
वसत्वम् मम जिव्हाग्रे, सर्वविद्याप्रदाभव
नमस्ते शारदे देवी, वीणापुस्तकधारिणी
विद्यारंभम् करिष्यामि, प्रसन्ना भव सर्वदा

4- ॐ श्री सरस्वतीं शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्
वह्निशुद्धां शुक्लाधानां वीणापुस्तकधारिणीम्
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:
वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:

गणतंत्र दिवस बेस्ट मार्चिंग परेड अवॉर्ड की घोषणा, जाट रेजिमेंटल सेंटर और दिल्ली पुलिस ने जीती ट्रॉफी

5- या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभि र्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा

इसका अर्थ है- जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है। ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।

6- शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌

इसका अर्थ है- जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किए रहती हैं, अभय देती हैं। मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूं।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें