प्रेम अदीब जन्मदिवस: फिल्म ‘राम राज्य’ में निभाया था प्रभु श्री राम का किरदार, लोग देखते ही पैर छूने लगते थे

1942 में एक फिल्म आयी ‘भरत मिलाप’। विजय भट्ट इसके निर्देशक थे। इसमें प्रेम अदीब ने भगवान राम की भूमिका निभायी और खूब प्रशंसा बटोरी। लेकिन 1943 में आयी फिल्म ‘राम राज्य’ ने उनके जीवन में चमत्कार कर दिया। इ

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हिंदी फिल्मों के शुरुआती दौर के जाने-माने अभिनेता प्रेम अदीब

हिंदी फिल्मों के शुरुआती दौर के जाने-माने अभिनेता प्रेम अदीब का आज जन्मदिन है। महात्मा गांधी ने अपने पूरे जीवन में जो एकमात्र फिल्म देखी, वो थी प्रेम अदीब की ‘राम राज्य’। कहा जाता है कि प्रेम अदीब से पहले इतने सुंदर राम कभी परदे पर नहीं दिखे। सभी कैलेंडर और पोस्टरों में राम के रूप में इनका ही चित्र छपता था। प्रेम अदीब का जन्म 10 अगस्त, 1916 को सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके पिता पंडित राम प्रसाद वकालत करते थे। प्रेम प्रारंभिक शिक्षा तो सुल्तानपुर और जोधपुर में हुई, लेकिन इनकी रूचि अभिनय करने की थी। फिर क्या था, ये जल्द ही लाहौर जा कर फिल्मों में अभिनय करने लगे। वहां बात नहीं बनी तो मुंबई का रूख किया। मुंबई में एक दिन उन्होंने राजपूताना फिल्म्स के लिये नए चेहरों की तलाश का विज्ञापन देखा।

उन्होंने आवेदन कर दिया और निर्माता निर्देशक मोहन सिन्हा ने उन्हें देखते ही फिल्म के लिए चुन लिया। प्रेम अदीब अभिनीत पहली फिल्म ‘रोमांटिक इंडिया’ (1936) थी। मोहन सिन्हा ने उन्हें फिल्मी नाम दिया प्रेम। फिर कई फिल्मों में उन्होंने प्रेम के नाम से ही अभिनय किया। 1942 में उनकी एक फिल्म आयी ‘भरत मिलाप’। विजय भट्ट इसके निर्देशक थे। इसमें प्रेम अदीब ने भगवान राम की भूमिका निभायी और खूब प्रशंसा बटोरी। लेकिन 1943 में आयी फिल्म ‘राम राज्य’ ने उनके जीवन में चमत्कार कर दिया। इसमें भी उन्होंने भगवान राम की भूमिका निभायी थी और निर्देशन भी विजय भट्ट ने ही किया था।

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‘राम राज्य’ भारत में बनी धार्मिक फिल्मों में सर्वाधिक चर्चित और श्रेष्ठ फिल्म साबित हुई। अपने समय में यह फिल्म जहां लगी वहां महीनों चली। कई स्थानों पर तो साल भर से भी अधिक। यह इकलौती भारतीय फिल्म थी जिसे सिनेमा को नापसंद करने वाले महात्मा गांधी ने भी देखा। शोहरत ने उनकी ऐसी हालत कर दी कि सार्वजनिक स्थानों पर जाना दूभर हो गया। वे लाख मना करते लेकिन उन्हें देखते ही उनके पैर छूने वालों की कतार लग जाती। उनके चित्र कैलेंडर पर छपे और फ्रेम करवा कर घरों में लगाए जाते थे। जिन पर प्रेम अदीब और शोभना समर्थ को राम सीता के रूप में देख कर लोग पोस्टर के आगे पैसे चढ़ाते थे। ऐसी लोकप्रियता इससे पहले किसी के हिस्से में नहीं आई थी। प्रेम अदीब ने तो इसकी कल्पना भी नहीं की थी।

इनकी और भी बहुत सारी फिल्में आयीं जिनमें में शामिल हैं- अनोखी अदा, अंगुलीमाल, राजरानी मीरा, आधी रोटी, तीसरी गली, दिल्ली दरबार, गीत गोविन्द, कृष्ण सुदामा, साधना दर्शन, स्टेशन मास्टर, देहाती, कसम, भोली, नीलमणि, महरानी मिलन, चांद, विक्रमादित्य, एक्ट्रेस, मुलाकात, लव कुश, राम विवाह, भरत मिलाप, राम हनुमान युद्ध, पृथ्वीराज चौहान, रामभक्त विभीषण, राजा हरिश्चंद्र, राम बाण एवं भगत सिंह। लेकिन राम राज्य जैसी शोहरत दुबारा नहीं मिली। शोभना समर्थ ने सीता के रूप में इनका साथ दिया था और इनकी जोड़ी बड़ी सफल हुई। प्रेम अदीब का निधन 1959 में हुआ था। दिल छू लेने वाले अभिनय ने इन्हें न सिर्फ फिल्म जगत में एक विशेष स्थान दिलाया बल्कि सदा के लिए अमर कर दिया।

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