
अपनी पत्नी सोनाली के साथ मिलकर मंगल पहले से ज्यादा खूंखार नक्सली बन बैठा।
झारखंड का एक जिला है घाटशिला। जमशेदपुर के बिल्कुल पास। प्राकृतिक संपदा के लिए मशहूर इस जिले का एक नौजवान लड़का कई साल पहले समाज बदलने और दबंगों को सबक सिखाने का जुनून मन में लिए घर से निकला। उस वक्त उसकी उम्र थी महज 19 साल। कुछ दिनों तक वो झारखंड के बीहड़ों में भटकता रहा और फिर एक दिन झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमाई जंगली इलाके में उसकी मुलाकात श्रीधर नाम के शख्स से हुई। श्रीधर ने इस लड़के की पूरी बात सुनी और फिर उसे ले गया उस रास्ते पर जहां सिर्फ खौफ, बदनामी और खून भरा हुआ था। कान्हू राम मुंडा नाम के इस नौजवान को श्रीधर नक्सली दस्ते के पास लेकर गया और इस दस्ते के सदस्यों ने उसका नाम बदलकर मंगल कर दिया। कुछ ही दिनों बाद मंगल छत्तीसगढ़, झारखंड के सीमाई इलाकों में नक्सली वारदातों को अंजाम देने लगा। इसी बीच छत्तीसगढ़ में उसकी मुलाकात एक नक्सली युवती सोनाली से हुई और मन ही मन दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे तथा जल्दी ही दोनों ने शादी भी रचा ली।
उस वक्त ऐसा लगा कि शादी करने के बाद मंगल अब अपनी जिंदगी बीहड़ों में छिप कर और गोली-बंदूक के साए में नहीं बल्कि खुले आसमान के नीचे गुजरेगा। लेकिन सच यह है कि अपनी पत्नी सोनाली के साथ मिलकर मंगल पहले से ज्यादा खूंखार नक्सली बन बैठा। उसकी क्रूरता के कारनामे को देखते हुए माओवादी सरगना ने उसे बंगाल, झारखंड और ओडिशा बॉर्डर के रीजनल कमेटी का सचिव पद दे दिया। नई जिम्मेदारी मिलने के बाद कान्हू राम मुंडा ने साल 2014 में घाटशिला में कई बड़ी नक्सली वारदातों को अंजाम दिया। अपने खूंरेजी चरित्र के चलते वह झारखंड सरकार के लिए सिरदर्द बन गया। यही वो वक्त था जब झारखंड पुलिस ने उसे इनामी नक्सली घोषित कर दिया। जानकारों के अनुसार कान्हू उर्फ मंगल के गैंग में सुपाई टुडू, फोगला मुंडा, कार्तिक मुंडा, धनु मुंडा, जतिन मुंडा, सुधीर निर्मल मुंडा, सनातन मुंडा समेत दर्जनों ऐसे-ऐसे खूंखार नक्सली थे जो उसके एक इशारे पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे। अपनी नक्सली फौज के साथ मिलकर कान्हू ने इतना आतंक बरपाया कि सरकार ने उसके ऊपर 50 लाख का इनाम रख दिया।
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झारखंड में कान्हू मुंडा और उसके नक्सली साथियों ने कई थानों को उड़ाया एवं जवानों से हथियार छीना। उसने कई लोगों की हत्याएं भी की जिसकी वजह से उस पर 45 मामले दर्ज हुए। जिनमें अपहरण, थाना पर हमला, हथियारों की लूट, पुलिस जवानों को उड़ाने की घटना सहित कई अन्य नक्सली वारदात शामिल हैं। कहा जाता है कि झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के डांगरा जोधा पहाड़ पर एक बार स्वतंत्रता दिवस के दिन पुलिस और नक्सलियों के बीच बड़े मुठभेड़ हुई थी। इस भीषण मुठभेड़ में कान्हू ने बड़ी ही चालाकी से काम किया था और चारों तरफ से घिरे होने के बावजूद वो अपने साथियों के साथ वहां से भागने में सफल हो गया था।
इसी बीच झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए और राज्य में रघुवर दास नए मुख्यमंत्री बने। सरकार ने सड़क और बिजली को लेकर जो विकास कार्य चलाए उनसे कान्हू काफी प्रभावित हुआ। उसने नक्सलवाद छोड़ कर मुख्यधारा में आने का फैसला किया क्योंकि ‘नई दिशा’ नामक झारखंड सरकार की सरेंडर नीति नक्सलियों और उनके परिवारों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही थी। कान्हू मुंडा ने जिला पुलिस एवं सीआरपीएफ के समक्ष 15 फरवरी, 2017 को सरेंडर कर दिया। उसके साथ उसकी पत्नी सोनाली तथा उसकी साथी जरा मुर्मू, सुंदर मुर्मू समेत कइयों ने आत्मसमर्पण कर दिया। खास बात यह भी है कि सरेंडर करने के बाद उसने पुलिस और सीआरपीएफ को धन्यवाद दिया। उसने बताया कि सरकार द्वारा नक्सलियों के लिए चलाई जा रही आत्मसमर्पण नीति के बारे में जानकारी से प्रभावित होकर ही उसने मुख्यधारा में आने का फैसला किया। बता दें कि सरकार द्वारा 50 लाख के इनामी नक्सली को तत्काल 50 लाख का चेक, मकान एवं खेती करने के लिए जमीन दी गई। उसी जमीन पर इसके परिजन घर बना कर रह रहे हैं एवं खेती कर जिंदगी गुजार रहे हैं।
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