
अटल जी की पुण्यतिथि पर महान गायिका लता मंगेशकर ने अपनी सुरीली आवाज में श्रद्धांजलि अर्पित की है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। अंग्रेजों की लाठियां खाईं। जेल भी भेजे गए। उस समय उनकी उम्र कम थी, लेकिन देशभक्ति और साहस से भरे थे। आजादी की लड़ाई के दौरान ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संपर्क में आए। 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। अलग पहचान बनाई। संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में काम किया। 1957 में दूसरी लोकसभा के लिए बलरामपुर सीट से सांसद बने।
पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि है। देश के कई बड़े नेता आज उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। नई दिल्ली में उनके स्मृति स्थल ‘सदैव अटल’ पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई बड़े नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचे। अटल जी की पुण्यतिथि पर महान गायिका लता मंगेशकर ने अपनी सुरीली आवाज में श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने अपनी आवाज में अटल बिहारी वाजपेयी की कविता शेयर की है। साथ ही लता मंगेशकर ने ट्वीट किया- मेरे पिता समान पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न पूज्य अटल बिहारी वाजपेयी की प्रथम पुण्यतिथि पर मैं उनको कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं।
यहां सुने लता जी की आवाज में अटल जी को श्रद्धांजलि-
— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) August 16, 2019
अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1998 से लेकर साल 2004 तक एनडीए की सरकार का नेतृत्व किया। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले नेता हैं, जो प्रधानमंत्री बने। अटल बिहारी वाजपेयी कुल तीन बार सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे और प्रधानमंत्री नियुक्त हुए। सबसे पहली बार वह साल 1996 में पीएम बने, लेकिन सिर्फ 13 दिनों तक ही पद पर रहे। इसके बाद अटल जी 1998 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने और 1999 तक इस पद पर बने रहे। तीसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी साल 1999 से लेकर 2004 तक प्रधानमंत्री चुने गए और इस बार उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा भी किया।
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16 अगस्त 2018 को दिल्ली के AIIMS में 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी दूरगामी सोच, कविताओं, पोखरण टेस्ट, कारगिल में भारत को मिली जीत और अंतर्राष्टीय स्तर पर भारत का कद बढाने के लिये हमेशा याद किया जायेगा। वे देश के लिये पिता तुल्य थे जिनमें न सिर्फ पार्टी को बल्कि बिपक्ष को साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता थी। पढ़िए अटल बिहारी वाजपेयी के वे विचार जो आज भी हमारे बीच काफी लोकप्रिय हैं-
- पारस्परिक सहकारिता और त्याग की प्रवृत्ति को बल देकर ही मानव-समाज प्रगति और समृद्धि का पूरा-पूरा लाभ उठा सकता है।
- शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है। व्यक्तित्व के उत्तम विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप आदर्शों से युक्त होना चाहिए।
- हमारी माटी में आदर्शों की कमी नहीं है। शिक्षा द्वारा ही हम नवयुवकों में राष्ट्रप्रेम की भावना जाग्रत कर सकते हैं।
- शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। ऊंची-से-ऊंची शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए।
- राष्ट्र की सच्ची एकता तब पैदा होगी, जब भारतीय भाषाएं अपना स्थान ग्रहण करेंगी।
वाजपेयी ने भारत के परमाणु शक्ति से लैस होने की वकालत की। उन्होंने साफ कहा कि जब पड़ोसी देश चीन परमाणु हथियार से लैस है, तो भारत अपनी रक्षा के लिए इससे वंचित क्यों रहे? इस सम्मेलन में उन्होंने इस संबंध में जो दलीलें दीं, वह दमदार थीं। बाद में जब वह प्रधानमंत्री हुए, तो दूसरी बार बुद्ध मुस्कुराए, यानी परमाणु परीक्षण हुआ। भारत ने दूसरी बार पोखरण में यहपरीक्षण किया। भारत की सामरिक शक्ति की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी।
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