
डॉ. बिधान चन्द्र रॉय जन्मदिन और पुण्यतिथि
डॉ. बिधान चन्द्र रॉय पश्चिम बंगाल के जाने माने चिकित्सक थे। उन्होंने आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हिस्सा लिया था। वे पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री थे। डॉ. रॉय लगातार 14 सालों तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। आज के ही दिन डॉ. रॉय का जन्म हुआ और आज के ही दिन यानी 1 जुलाई को उनकी मृत्यु भी हुई थी। चिकित्सा जगत में उनके उपलब्धियों के चलते ही सरकार ने इस दिन उनके नाम पर ‘डॉक्टर्स डे’ मनाने का फैसला किया। पश्चिम बंगाल के विकास के लिए किये गए कार्यों के आधार पर उन्हें ‘बंगाल का निर्माता’ माना जाता है। देश और समाज के लिए की गई उनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1961 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मनित किया।
बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई, 1882 को बिहार के पटना जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रकाश चन्द्र रॉय और माता का नाम अघोरकामिनी देवी था। बिधान ने मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पटना के कॉलेजिएट स्कूल से साल 1897 में पास की। उन्होंने अपना इंटरमीडिएट कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से किया और फिर पटना कॉलेज से गणित विषय में ऑनर्स के साथ बी.ए. किया। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई की। मेडिकल की पढ़ाई के बाद बिधान राज्य स्वास्थ्य सेवा में नियुक्त हो गए। उन्होंने साल 1923 में राजनीति में कदम रखा और बैरकपुर निर्वाचन-क्षेत्र से एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता।
साल 1928 में डॉ. रॉय को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का सदस्य चुना गया। 1929 में उन्होंने बंगाल में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का कुशलता से संचालन किया और कांग्रेस कार्य समिति के लिए चुने गए। सरकार ने कांग्रेस कार्य समिति को गैर-कानूनी घोषित कर डॉ. रॉय समेत सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। 1931 में दांडी मार्च के दौरान कोलकाता नगर निगम के कई सदस्य जेल में थे इसलिए कांग्रेस पार्टी ने डॉ. रॉय को जेल से बाहर रहकर निगम के कार्य को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कहा। वे 1933 में निगम के मेयर चुने गए। उनके नेतृत्व में निगम ने मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, बेहतर सडकें, बेहतर रौशनी और बेहतर पानी वितरण आदि के क्षेत्र में बहुत प्रगति की। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा से सम्बंधित कई संस्थानों में अपना अमूल्य योगदान दिया।
उन्होंने जादवपुर टी.बी. अस्पताल, चित्तरंजन सेवा सदन, कमला नेहरु अस्पताल, विक्टोरिया संस्थान और चित्तरंजन कैंसर अस्पताल की स्थापना की। 1942 में डॉ. बिधान चन्द्र रॉय कलकत्ता विश्विद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वे ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी कोलकाता में शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था बनाये रखने में सफल रहे। उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें ‘डॉक्टर ऑफ सांइस’ की उपाधि दी गयी। आजादी के बाद 23 जनवरी, 1948 को बंगाल के मुख्यमंत्री चुने गए।
जब डॉ. रॉय बंगाल के मुख्यमंत्री बने तब राज्य की हालत बहुत नाजुक थी। राज्य सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में था। इसके साथ-साथ खाद्य पदार्थों की कमी, बेरोजगारी और पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थियों का भारी संख्या में आगमन आदि भी चिंता के कारण थे। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से लगभग तीन साल में राज्य में कानून और व्यवस्था कायम किया और दूसरी परेशानियों को भी काबू में किया। भारत सरकार ने उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से 4 फरवरी, 1961 को सम्मानित किया। 1 जुलाई, 1962 को 80वें जन्म-दिन पर उनका निधन कोलकाता में हो गया।
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