दुश्मन की गोलियों से शरीर हो गया था छलनी, फिर भी सतवीर बाउजी ने दुश्मनों से किए दो-दो हाथ

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारतीय जवानों ने बुरी तरह से हराया था। पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर भारतीय जवानों का डंका बजा था।

Satveer Bauji

लांस नायक सतवीर बाउजी।

Kargil War: दुश्मन की गोलियों से शरीर छलनी होने के बावजूद सतवीर बाउजी (Satveer Bauji) ने अपना पराक्रम जारी रखा था। उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में कई बार उन दिनों को याद कर अपने अनुभव को साझा किया है।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारतीय जवानों ने बुरी तरह से हराया था। पाकिस्तान को हर मोर्चे पर फेल कर भारतीय जवानों का डंका बजा था। यूं तो युद्ध में एक-एक जवान की अहमियत होती है, लेकिन कुछ जवान ऐसे भी होते हैं जो अपनी बहादुरी के दम पर आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनते हैं।

ऐसे ही पूर्व सैनिक सतवीर बाउजी (Satveer Bauji)  भी हैं। दुश्मन की गोलियों से शरीर छलनी होने के बावजूद इन्होंने अपना पराक्रम जारी रखा था। उन्होंने मीडिया के साथ बातचीत में कई बार उन दिनों को याद कर अपने अनुभव को साझा किया है।

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पूर्व लांस नायक सतवीर बाउजी (Satveer Bauji) बताते हैं, “हमने दुश्मनों से मोर्चा लेने से पहले फूड की जगह ढेर सारे हथियार रख लिए थे। हमने गोलियां, हथगोले और बारूद से अपना बैग भर लिया था और पहाड़ी पर चढ़ाई की थी। टोलोलिंग की पहाड़ियों पर चुनौती बहुत बड़ी थी। बस मन में एक ही धुन सवार थी कि पाकिस्तानियों को सबक सिखाना है।”

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हिन्दुस्तान की सबसे पुरानी सैन्य यूनिटों में से एक राष्ट्रीय राजपूताना रायफल्स का हिस्सा रहे सतवीर बाउजी (Satveer Bauji) आगे बताते हैं, “टोलोलिंग जैसी विषम पहाड़ी पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाते वक्त कई गोलियां छू कर निकल गईं, जबकि एक गोली एड़ी के आरपार हो गई थी। हमें नहीं पता था कि हम टोलोलिंग की पहाड़ियों से बचकर वापस आएंगे या नहीं। लेकिन मैंने दुश्मनों को सबक सिखाया और जिंदा लौटकर भी आया।”

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