ड्रैगन की शरण में पाकिस्तान! कश्मीर और अनुच्छेद 370 पर चीन करेगा (UNSC) के साथ बैठक

सिर्फ चीन बचा है जो पाकिस्तान की फरियाद सुन रहा है। वह भी इसलिए कि चीन का बहुत कुछ पाकिस्तान में दांव पर लगा है। चीन की मजबूरी बेल्ट रोड इनीशिएटिव (BRO) है, जिसका बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से होकर गुजर रहा है। सड़क निर्माण के इस बड़े प्रोजेक्ट में चीन ने बहुत कुछ झोंक दिया है।

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कश्मीर और अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान को तगड़ा झटका लगा है।

कश्मीर और अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) बंद दरवाजे (क्लोज डोर) में बैठक करने वाला है। यह क्लोज डोर मीटिंग चीन की मांग पर शुक्रवार (16 अगस्त, 2019) को होगी। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देते हुए चीन ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने का फैसला लिया है। यहां बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान को तगड़ा झटका उस वक्त लगा था जब अनुच्छेद 370 पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी देशों ने उसे बैरंग लौटा दिया था।

यूएनएससी के स्थाई सदस्यों में चीन को छोड़ दें तो बाकी के देशों-फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने पाकिस्तान को ठेंगा दिखा दिया था। इन देशों का स्पष्ट कहना था कि कश्मीर मुद्दा हिंदुस्तान और पाकिस्तान का आंतरिक मसला है, इसलिए दोनों देश मिलकर निपटें, किसी तीसरे पक्ष की इसमें दरकार नहीं। हालांकि इस बार भी चीन और पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का साथ मिलने की उम्मीद न के बराबर ही है।

ऐसा कभी नहीं हुआ कि संयुक्त राष्ट्र जैसी मुखिया संस्था को बंद दरवाजे के पीछे बैठक करनी पड़ी हो। संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब कश्मीर मुद्दे पर कोई बैठक होने जा रही है। हालांकि यह दूसरी बैठक, 1971 की पहली बैठक से कई मायनों में भिन्न है। पहली बैठक न तो बंद दरवाजे के पीछे थी और न ही सुरक्षा परिषद् के अधिकांश सदस्य देशों ने पाकिस्तान का समर्थन करने से मना किया था। यूएनएससी में 1969-71 में ‘सिचुएशन इन द इंडिया/पाकिस्तान सबकॉन्टिनेंट’ विषय के तहत कश्मीर का मुद्दा उठाया गया था।

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बहरहाल, सिर्फ चीन बचा है जो पाकिस्तान की फरियाद सुन रहा है। वह भी इसलिए कि चीन का बहुत कुछ पाकिस्तान में दांव पर लगा है। चीन की मजबूरी बेल्ट रोड इनीशिएटिव (BRO) है, जिसका बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से होकर गुजर रहा है। सड़क निर्माण के इस बड़े प्रोजेक्ट में चीन ने बहुत कुछ झोंक दिया है। अरबों की राशि उसने रोड प्रोजेक्ट में लगाई है और पाकिस्तान से रिश्ता बनाए रखने के लिए वहां बड़ी मात्रा में निवेश किया है।

चीन के सामने दो ही विकल्प हैं, पहला यह कि वह पाकिस्तान को झिड़क दे और अपने बूते बीआरओ को आगे बढ़ाए। दूसरा विकल्प उसके सामने सबकुछ बर्दाश्त करते हुए पाकिस्तान को मदद करते रहने का है। अब, पाकिस्तान को चीन झिड़क नहीं सकता क्योंकि उसे पता है इससे उसका पैसा तो डूबेगा ही, रोड प्रोजेक्ट में जान-माल की भी बड़ी क्षति होगी। गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तानी आतंकी कई देशों में कोहराम मचा चुके हैं। लेकिन अभी तक उन्होंने किसी चीनी नागरिक को नहीं छुआ है जो बीआरओ प्रोजेक्ट में लगे हैं।

इसलिए चीन हर नफा-नुकसान देखते हुए पहले विकल्प में टिकना चाहता है। लिहाजा यूएनएससी की बैठक में वह पाकिस्तान की मदद कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। इनमें 5 स्थाई और 10 अस्थाई हैं। अस्थाई सदस्यों का कार्यकाल कुछ वर्षों के लिए होता है जबकि स्थाई सदस्य हमेशा के लिए होते हैं। स्थाई सदस्यों में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं। अस्थाई देशों में बेल्जियम, कोट डीवोएर, डोमिनिक रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गुएनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड और साउथ अफ्रीका जैसे देश हैं।

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