यूएन में फिर भारत ने लगाई पाक को फटकार, कहा- ‘मुंबई और पठानकोट हमले के पीड़ित अभी तक न्याय से वंचित’

अमेरिका में हुए 11 सितम्बर के हमलों के 20 साल बाद भी ऐसे नेता हैं जो बिना किसी पछतावे के ओसामा बिन लादेन का, एक शहीद के रूप में बचाव करना जारी रखते हैं।

Terrorism

India slams Pak for Terrorism in UNSC, 26/11 Victims Yet To Get Justice.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मौजूदा बैठक में एक बार फिर भारत ने पाकिस्तान को जमकर खरी खोटी सुनाई है। यूएनएससी (UNSC) में भारत के दूत ने कड़े शब्दों में कहा कि भारत ने लंबे समय से सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद (Terrorism) का दंश झेला है और पाकिस्तान (Pakistan) स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा अंजाम दिए गए 2008 के मुंबई आतंकी हमले और 2016 के पठानकोट आतंकी हमले के पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला है।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति के दिये व्यक्त के अनुसार, ‘आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा’ विषय पर भारत की इस दृढ़ मान्यता को दोहराया कि दुनिया के एक भी हिस्से में आतंकवाद (Terrorism) यदि है तो वह समूची दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।

दूत तिरुमूर्ति के अनुसार,  एक ऐसे देश के रूप में जिसे 2008 के मुंबई आतंकी हमले और 2016 के पठानकोट आतंकी हमले सहित सीमा पार आतंकवाद का खामियाजा भुगतना पड़ा है, ‘भारत आतंकवाद (Terrorism) की मानवीय कीमत से अवगत है और इन आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’

तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि आतंकी हमलों की निंदा करते हुए हमारी प्रतिक्रिया एकजुट और स्पष्ट होनी चाहिए। हमें इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका में हुए 11 सितम्बर के हमलों के 20 साल बाद भी ऐसे नेता हैं जो बिना किसी पछतावे के ओसामा बिन लादेन का, एक शहीद के रूप में बचाव करना जारी रखते हैं। यहां तिरुमूर्ति का इशारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर था, जिन्होंने मारे गए अलकायदा प्रमुख को शहीद बताया था।

आईएसआईएल-दाएश के खतरों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस की 14वीं रिपोर्ट पर भारत ने सभी पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की, जिन्होंने अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, इराक, सीरिया, कांगो और युगांडा में हाल के आतंकवादी हमलों में अपने प्रियजनों को खो दिया।

तिरुमूर्ति ने परिषद के सामने ये साफ किया कि आतंकवाद (Terrorism) हर किसी को प्रभावित करता है, चाहे वह किसी भी स्थान या मूल का हो। लेकिन ‘दुर्भाग्य से, आतंकी कृत्यों के पीछे की मंशा के आधार पर आतंकवाद से निपटने की दोषपूर्ण मानसिकता से बाहर आने में लंबा वक्त लगा।’

साभार: आईएएनएस

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