Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

दंतेवाड़ा: नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जगी नई उम्मीद, आजादी के बाद पहली बार इस गांव में लहराया तिरंगा

कटेकल्याण ब्लॉक का मारजुम गांव नक्सल गतिविधियों के कारण अतिसंवेदनशील श्रेणी में आता है। इस गांव में नक्सलियों (Naxal) का साम्राज्य था। यहां नक्सलियों की हुकूमत चलती थी। 

दंतेवाड़ा: 15 अगस्त के मौके पर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के नक्सल (Naxal) प्रभावित गांव मारजुम में उम्मीदों का एक नया दीप जला है। यहां आजादी के बाद पहली बार तिरंगा फहराया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 20 साल बाद धुर नक्सल (Naxal) प्रभावित गांव मारजुम में आजादी के बाद पहली बार सुरक्षाबल के जवान, महिला कमांडो और ग्रामीणों ने मिलकर तिरंगा लहराया।

इस मौके पर खास बात ये रही कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने भी तिरंगे को सलामी दी और वे भी आजादी के जश्न में शामिल हुए।

बता दें कि कटेकल्याण ब्लॉक का मारजुम गांव नक्सल गतिविधियों के कारण अतिसंवेदनशील श्रेणी में आता है। इस गांव में नक्सलियों का साम्राज्य था। यहां नक्सलियों की हुकूमत चलती थी।

नक्सली हमेशा से ही स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करते आए हैं। आजादी पर्व के दिन नक्सली अंदरूनी क्षेत्रों में काला झंडा फहराकर विरोध करते हैं। यह गांव उन्हीं गांव में से एक था, जहां नक्सली कुछ साल पहले काला झंडा फहराते थे।

दंतेवाड़ा जिले में ग्रामीणों का नक्सलवाद से मोहभंग हो रहा है। ग्रामीण समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय नक्सलियों को सरेंडर करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। ध्वाजारोहण के वक्त सरेंडर करने वाले नक्सली भी मौजूद रहे।

ये भी पढ़ें- पुण्यतिथि विशेष: कुशल राजनीतिज्ञ होने के अलावा बेहतरीन कवि भी थे पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी, यहां पढ़ें कविताएं

बता दें कि दंतेवाड़ा जिले में 45 दिन पहले लोन वर्राटू अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत पुलिस को लगातार सफलता मिल रही है। अभी तक कई इनामी नक्सली समेत 102 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। नक्सली जो कभी ‘लाल आतंक’ का साथ दिया करते थे वही नक्सली अब भारत माता की जय जयकार कर रहे हैं।

मारजुम गांव के आसपास के करीब 300 से ज्यादा ग्रामीण इस कार्यक्रम में शामिल हुए। जिसे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि नक्सलगढ़ में लाल आतंक की जड़े कमजोर हो रही है और वो दिन भी दूर नहीं जब ग्रामीण नक्सलवाद के भय से मुक्त होकर आजादी का खुलकर जश्न मना पाएंगे।

ये भी देखें-