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भारत के खिलाफ पाक ने रची बड़ी आतंकी साजिश, पढ़ाई के नाम पर कश्मीरी नौजवानों को सरहद पार बुलाकर दे रहा आतंकी ट्रेनिंग

Pakistan Uses Student Visa to Lure Kashmiri Youth for Militant Training

अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद से पाकिस्तान ने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है। हालिया रिपोर्ट्स से जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-E-Mohammed) की गतिविधियों में बढ़ोतरी का संकेत मिला है, जिसमें तालिबान के साथ जैश के टॉप आतंकियों (Militants) की पाकिस्तान के क्वेटा और अफगानिस्तान के कंधार में बैठकों की एक दौर भी शामिल है। जैश-ए-मोहम्मद कथित तौर पर अफगानिस्तान में एक जिम्मेदार भूमिका के लिए तालिबान का साथ चाह रहा है और साथ ही साथ वह कश्मीर में अपने आतंकी योजनाओं में भी इसकी मदद मांग रहा है।

तालिबान की आड़ में पाकिस्तान (Pakistan) का गंदा खेल: लश्कर और जैश के आतंकी कैंपों को अफगानिस्तान में कर रहा है शिफ्ट

यह उम्मीद की जा रही थी कि पाकिस्तान तालिबान पर किए गए एहसान की वापसी की मांग करेगा और आतंकी ट्रेनिंग कैंपों सहित पूरे आतंकी नेटवर्क को अफगानिस्तान में शिफ्ट कर देगा। एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान (Pakistan) को ग्रे लिस्ट में डालने से पड़ोसी देश लगातार तनाव में आ गया है। सूची में लंबे समय तक रहना इसकी अतंर्राष्ट्रीय फंडिग पर असर डाल सकता है। 

हालांकि दुनिया ने महसूस किया है कि एफएटीएफ रूपी तलवार को पाक के ऊपर रखना ही उसकी धरती पर पल रहे आतंकी समूहों पर लगाम लगाने के लिए दबाव बनाने का एकमात्र प्रभावी तरीका है।

ऐसे में पाकिस्तान (Pakistan) अपने आतंकी समूहों को अफगानिस्तान की धरती पर रखना चाहता है, जिससे कि वह नौसिखिया तालिबानी सरकार को हर तरीके से नियंत्रित कर सके। पाकिस्तान आतंकी समूहों को बनाने और प्रबंधित करने और एक को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कला में माहिर रहा है। यह याद किया जा सकता है कि यह ‘अच्छे तालिबान-बुरे तालिबान’ के विचार के साथ सामने आया है, ताकि उन आलोचनाओं से छुटकारा मिल सके, जिन्होंने इसके अधिकार को चुनौती दी थी।

पाक की खूफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) ने पीओके, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब में कई आतंकी ट्रेनिंग कैंप स्थापित किए हैं। आतंकी कैडरों को मुख्य रूप से पंजाब के पाक प्रांतों और खैबर पख्तूनख्वा से भर्ती किया जाता है, इसके अलावा पीओके के लोगों को कश्मीर में जिहाद के लिए आतंकी समूहों में शामिल होने के लिए बाध्य किया जाता है।

इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में आतंकियों (Militants) की घुसपैठ को सुविधाजनक बनाने के लिए, इसने पीओके और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कई लॉन्च पैड स्थापित किए हैं, जो कश्मीर में दुर्गम इलाकों से लेकर पुंछ में पीर पंजाल के दक्षिण, राजौरी और आगे सांबा व जम्मू के अलग-अलग इलाकों तक फैले हुए हैं। करीब 250-300 आतंकवादी एलओसी के उस पर कई लॉन्चिंग पैड्स पर घुसपैठ का इंतजार कर रहे हैं। पाकिस्तानी सेना जरूरी इनपुट प्रदान करने के साथ-साथ आतंकियों (Militants) को कवरिंग फायर देकर भारतीय इलाके में घुसपैठ की सुविधा प्रदान करती है। फिलहाल जम्मू-कश्मीर में करीब 200 आतंकी सक्रिय हैं, जिनमें से करीब 90 पाकिस्तान मूल के हैं।

पाकिस्तान (Pakistan) ने कश्मीरियों को पीओके में ले जाने, उनका ब्रेनवॉश करने और आतंकी ट्रेनिंग देने के लिए कई नये तरीके भी ईजाद किए हैं। आईएसआई (ISI) ने पाकिस्तान और पीओके में डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के नाम पर कई कश्मीरी नौजवानों को कानूनी रास्ते से सरहद उस पार ले जा रहे हैं, जहां उन्हें ट्रेनिंग कैंपों में ले जाया जाता है और हथियारों व गोला-बारूद की ट्रेनिंग दी जाती है। लौटने पर ये कश्मीरी नौजवान जिहाद छेड़ने के लिए आतंकी रैंक में शामिल हो जाते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ऐसे 50 से अधिक छात्रों की लिस्ट तैयार की है, जो पढ़ने के लिए पाकिस्तान गए थे लेकिन बाद में आतंकी रैंक में शामिल हो गए। इनमें से कई सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हैं।

आईएसआई (ISI) जम्मू-कश्मीर में हथियारों और गोला-बारूद की भी आक्रामक रूप से तस्करी कर रहा है, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर के पास ड्रोन की मदद ले रहा है।  हाल ही में एलओसी और सरहद के पास हथियारों व गोला-बारूद की बरामदगी की गई है, जिसमें नौशेरा, हीरानगर और अखनूर में की गई बरामदगी शामिल है।

हाल के दिनों में जम्मू और पंजाब के सरहदी इलाको में लगातार पाकिस्तानी ड्रोन देखे गए हैं। ये ड्रोन मुख्य रूप से हथियारों की सप्लाई के लिए काम में लाए जा रहे हैं। गिराए गए हथियारों में एके राइफल्स, कार्बाइन के साथ ही पिस्टल और अन्य गोला-बारूद शामिल हैं। इस काम में चीन निर्मित हाई टेक ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।