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Article 370: पाकिस्तान को नहीं मिला चीन का साथ, तालिबान ने भी सुनाई खरी-खोटी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी इस मुद्दे पर चीन का समर्थन हासिल करने के लिए 9 अगस्त को चीन गए। पर वहां से भी उन्हें मायूशी ही हाथ लगी।

जम्‍मू और कश्‍मीर से भारत द्वारा Article 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट थमने का नाम नहीं ले रही है। वह दुनिया भर के सामने अपना दुखड़ा सुना रहा है, लेकिन उसके विरोध को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में किसी भी देश का साथ नहीं मिल रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी इस मुद्दे पर चीन का समर्थन हासिल करने के लिए 9 अगस्त को चीन गए। पर वहां से भी उन्हें मायूसी ही हाथ लगी। पाकिस्‍तान को चीन ने नसीहत देते हुए कहा कि पाकिस्‍तान कश्‍मीर पर तनाव को बढ़ाने से बचे और वह भारत के साथ अपने संबंधों को और खराब न करे। दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को रद्द करने के भारत के फैसले पर चीनी के साथ विचार-विमर्श करने के लिए चीन रवाना गए थे।

9 अगस्त की सुबह बीजिंग के लिए उड़ान भरने से पहले कुरैशी ने कहा था कि भारत अपने असंवैधानिक तौर-तरीकों से क्षेत्रीय शांति को बाधित करने पर अमादा है। उन्होंने कहा था कि चीन न केवल पाकिस्तान का मित्र है, बल्कि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश भी है। वह स्थिति पर चीन के नेतृत्व को विश्वास में लेंगे। इस दौरान उनके साथ विदेश सचिव सोहेल महमूद और अन्‍य उच्च अधिकारी भी थे। पाकिस्तान के फैसले पर पूछे गये सवालों के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने पाकिस्तान के संबंधित बयान पर संज्ञान लिया है। उसने यहां मीडिया को दिए गए लिखित बयान में कहा कि हम पाकिस्तान और भारत का आह्वान करते हैं कि संवाद और बातचीत के माध्यम से विवादों को सुलझाएं तथा संयुक्त रूप से क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता कायम करें।

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चीन ने अनुच्छेद 370 से संबंधित भारत के फैसले का सीधा उल्लेख किए बिना कहा, ‘सबसे पहली प्राथमिकता है कि संबंधित पक्ष को एकतरफा तरीके से यथास्थिति में बदलाव करना रोकना चाहिए और तनाव बढ़ाने से बचना चाहिए। चीन ने 6 अगस्त को लद्दाख को भारत का केंद्रशासित प्रदेश बनाने के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता की अनदेखी की गयी है।’ कुरैशी के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर 11 अगस्त से यहां तीन दिनी दौरा शुरू करने वाले हैं। इस दौरान वह अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ व्यापक बातचीत कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में यह किसी भारतीय मंत्री की पहली चीन यात्रा होगी। यह यात्रा पहले से निर्धारित है।

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उधर, कश्मीर के हालात से अफगानिस्तान की तुलना करने पर तालिबान ने भी पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाई है। दुनिया के देशों से अफगानिस्तान को ‘प्रतिस्पर्धा का मैदान’ ना बनाने की अपील करते हुए तालिबान प्रवक्ता जाबिहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि कुछ पक्ष कश्मीर के मुद्दे को अफगानिस्तान से जोड़ रहे हैं। लेकिन इससे वहां के संकट से निकलने में मदद नहीं मिलेगी क्योंकि अफगानिस्तान का मुद्दा कश्मीर से किसी भी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है। 8 अगस्त को जारी किए बयान में तालिबान ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को ऐसे कदम उठाने से बचना चाहिए जिससे क्षेत्र में हिंसा और जटिलताओं का रास्ता खुल जाए। तालिबान ने कहा, “अफगानिस्तान को दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा का थियेटर न बनाया जाए।”

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