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शहीद पलानी: “भले ही वहां पर मौजूद नहीं हूं, लेकिन अपनी मौजूदगी का एहसास दिला रहा हूं”

परिवार के साथ तमिलनाडु के शहीद पलानी। (फाइल फोटो)

लद्दाख (Ladakh) में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में हमारे देश के 20 जवान शहीद हो गए। इसमें से एक तमिलनाडु के रामनाथपुरम के रहने वाले पलानी (Martyr Palani) हैं। 17 जून को उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचेगा।

पलानी के शहीद होने की खबर उनके भाई इधायकानी ने 16 जून को दी गई। परिवार को यह मनहूस खबर सुबह करीब नौ बजे मिली। पलानी के शहीद होने की खबर सुनते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया।

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पति के शहादत की खबर सुनते ही पत्नी वानाथीदेवी बेहोश हो गई। वहीं, उनके 10 साल के बेटे प्रसन्ना और 8 साल की बेटी दिव्या को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था।

शहीद पलानी (Martyr Palani) के पिता कालीमुथु किसान हैं। तीन बच्चों में पलानी सबसे बड़े थे। पलानी 18 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए थे। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के चलते पलानी दसवीं के बाद अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके।

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वह सेना में भर्ती हो गए। वर्तमान में वे सेना में हवलदार के पद पर थे। सेना में रहते हुए ही पलानी ने डिस्टेंस से बीए किया। पलानी की पत्नी एक निजी कॉलेज में क्लर्क हैं।

पलानी ने अपने पत्नी से आखिरी बार एक जून को फोन पर बात की थी। उन्होंने अपनी पत्नी को बताया था कि हमें सीमा पर ले जाया जा रहा है, इसलिए अब तुमसे संपर्क नहीं हो पाएगा। चिंता मत करना।

आखिरी बार कॉल पर दोनों ने लगभग चार मिनट तक बात की थी। दो दिन बाद घर में पलानी का जन्मदिन मनाया गया और उसी दिन नए घर का गृह प्रवेश भी हुआ।

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हाल ही में पलानी ने बहुत ही मेहनत से नया घर बनवाया था। घर बनवाना उनका सपना था। लेकिन किसी को क्या पता था कि वो अपने घर में इस तरह प्रवेश करेंगे। वो गृह प्रवेश तो करेंगे, लेकिन अपने नए घर को देखने के लिए अब वह जीवित नहीं हैं।

शहीद पलानी (Martyr Palani) के ससुर ने बताया कि गृह प्रवेश के दिन के पलानी ने उन्हें फोन किया था और गणपति होम के दौरान मंत्रों को सुना था। पलानी ने कहा कि भले ही वहां पर मौजूद नहीं हूं, लेकिन अपनी मौजूदगी का एहसास दिला रहा हूं।

40 साल के शहीद जवान पलानी (Martyr Palani) ने हमेशा देश को परिवार से पहले रखा। शायद तभी वे न तो अपने बेटे के जन्मदिन पर गए और न ही अपने गृह प्रवेश में शामिल हुए।