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गृहमंत्री अमित शाह के प्रस्ताव पर काम कर रहा CRPF
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उम्र के अनुसार कार्यक्षेत्र में वरियता देने पर हो रहा विचार
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लड़ाकू क्षमता को हर समय ऊर्जावान और घातक रखने की तैयारी
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वरिष्ठ कर्मचारियों को बेहतर आराम और स्वास्थ्य लाभ देने की कोशिश
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CRPF में 3.25 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत
सीआरपीएफ (CRPF) नक्सल और उग्रवाद रोधी अभियानों में ’युवा और तंदरुस्त’ जवानों को तैनात करने के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल ‘‘केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल’ (सीआरपीएफ) में 3.25 लाख से अधिक कर्मी हैं।
गौरतलब है कि गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में यहां सीआरपीएफ मुख्यालय (CRPF Headquarter) में बल की समीक्षा की थी। इसके बाद उन्होंने देश के प्रमुख आंतरिक सुरक्षा बल (CRPF) को एक ऐसा तंत्र तैयार करने का निर्देश दिया था, जो इसकी लड़ाकू क्षमता को हर समय ऊर्जावान और घातक रखे। सीआरपीएफ (CRPF) ने छह अधिकारियों की एक समिति का गठन किया है जो इस बारे में एक रूपरेखा तैयार करेगी कि क्या कोई ऐसी ऊपरी उम्र सीमा निर्धारित की जा सकती है जिसके बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कर्मियों को संगठन के अंदर तुलनात्मक रूप से कम कड़ी ड्यूटी में भेजा जा सकता हो या ऐसे कर्मियों को कम कठोर ड्यूटी दी जा सकती हो।
इतिहास में आज का दिन – 07 दिसंबर
सीआरपीएफ (CRPF) के विशेष महानिदेशक (एसडीजी) रैंक के एक अधिकारी की अध्यक्षता वाली यह समिति इस पर भी विचार विमर्श करेगी कि क्या ऐसे उम्रदराज सुरक्षाकर्मियों को एसएसबी, सीआईएसएफ जैसे-जैसे केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में भेजा जा सकता है, ताकि उनके लिये बेहतर ’आराम और स्वास्य लाभ’ सुनिश्चित किया जा सके।
अधिकारियों ने कहा कि समिति को 15 दिसंबर तक अपनी ’विशिष्ट’ सिफारिशें सौंपने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि इस कदम का उद्देश्य सीआरपीएफ (CRPF) को अभियान के लिए तंदरूस्त रखना है क्योंकि इसे नक्सलियों से लड़ने, जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करने और पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवाद से निपटने जैसे देश में आंतरिक सुरक्षा की कठोरतम जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। समिति इस बारे में विचार करेगी कि क्या 35 वर्ष की आयु सीमा रेखा रखी जाए ताकि इस उम्र सीमा को पार करने वाले कर्मियों को मेडिकल, ट्रांसपोर्ट और अन्य प्रशासनिक शाखाओं में ड्यूटी पर भेजा जा सके ताकि उन्हें अधिक मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़े।
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