भारत में आतंकी साजिश के लगातार विफल होने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और चीन की मदद से आतंक फैलाने के नये-नये रास्ते तलाश रहा है। लिहाजा पाकिस्तान अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से कोरोना महामारी के समय भी ‘पीओके टू कश्मीर’ मिशन पूरा करने के लिए आतंकियों (Militants) की ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं।
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खुफिया सूत्रों के अनुसार‚ ‘पीओके टू कश्मीर’ मिशन में पीओके से लेकर पाकिस्तान के पंजाब तक आतंक की इन नई फैक्टरियों में करीब 300 से 320 आतंकियों (Militants) का जत्था आतंकी प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिसमें लगभग 30 से 40 कसाब जैसे फिदायीन भी तैयार हो रहे हैं। जिनकी उम्र 14 से 23 साल आतंकी बनने के लिए और फिदायीन आतंकी की उम्र 18 से 20 साल है। इनमें पाकिस्तान के पंजाब से सटे इलाकों में पांच कैम्पों में कसाब तैयार हो रहे हैं। इन्हें आईएसआई की निगरानी में सेना द्वारा फिदायीन बनाया जा रहा है। चीन द्वारा दी गई अत्याधुनिक हथियारों‚ बम बनाने‚ इसे बरसाने‚ जीपीएस आदि का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
खुफिया सूत्रों ने रिपोर्ट में आतंकी फैक्टरियों का लोकेशन भी बताया है। पीओके से लेकर पाकिस्तान के पंजाब तक जो टेरर कैंप चल रहे हैं वो शिकुपुरा‚ झांग‚ रोबिन यार खान कैंट‚ रायविंड‚ सिहाला‚ जारी खास‚ अट्टोक‚ झांड़‚ फतेहगंज‚ मानशेरा‚ साहीवाल‚ बहावलपुर‚ पेशावर‚ बालाकोट‚ ऐबटाबाद‚ गिलगित‚ स्कर्दू‚ कोहट‚ बानू‚ चकवाल‚ मुज़फ्फराबाद‚ कोटली‚ मंगला‚ दीना‚ मीरपुर‚ डेरा गाजी खान और पानु आकिल कैंट इलाका है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार‚ एक तरफ खुद को आतंक पीडित बताकर पाकिस्तान एफएटीएफ से बचता आ रहा है। ये पूरी तैयारी पाकिस्तानी हुकूमत ने आईएसआई और सेना के साथ मिलकर की है। टेरर फंडिंग पाकिस्तान सरकार या आईएसआई और आर्मी नहीं कर रही है। इसमें चीन और तुर्की भी सहयोग दे रहे हैं। नए आतंकियों (Militants) की भर्ती लश्कर‚ जैश और हिज्बुल में हुई है। आईएसआई इस भर्ती के बाद दहशत फैलाने की ट्रेनिंग दे रही है। इनमें से 5 कैंप में आत्मघाती बनने की भी ट्रेनिंग मिल रही है।