Naxal Attack In Maharashtra: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 1 मई को हुए नक्सली हमले में शहीद जवानों की कहानियां दिल को झकझोर देने वाली हैं। इस नक्सली हमले ने एक झटके में ही इन सबका परिवार उजाड़ दिया। इस हमले में 15 पुलिसकर्मी और एक ड्राइवर शहीद हो गए थे। इन्हीं शहीदों में शाहू मदावी और तोमेश्वर सिंघत भी शामिल थे। शाहू मदावी पुलिस के जवान थे जबकि तोमेश्वर सिंघत उस वाहन के ड्राइवर थे जिस पर नक्सलियों ने हमला किया था। शाहू मदावी 1 मई के होनेवाले महाराष्ट्र दिवस की छुट्टी पर घर आए हुए थे। वे घर पर थे, खाना खा रहे थे, तभी अचानक उनको फोन आया। फोन पर उन्हें तुरंत ड्यूटी ज्वॉइन करने का आदेश मिला था। वो खाना बीच में छोड़कर ही वापस ड्यूटी पर चले गए।शहीद शाहू मदावी अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले थे।
परिवार में उनके माता-पिता के अलावा पत्नी और तीन साल का एक बेटा है। वहीं, इस हमले में मारे गए ड्राइवर तोमेश्वर सिंघत को 11 बजे पुलिस की क्वीक रेस्पांस टीम को पहुंचाना था। उसके बाद 12 बजे उन्हें एक बारात को लेकर जाना था। उनके पास बारात को लेकर जाने के पहले 1 घंटा समय था। इसलिए वो पुलिस टीम को ले जाने के लिए राजी हो गए थे। पर उन्हें क्या पता था कि यह सफर उनका अंतिम सफर है। सिंघत की शादी 5 साल पहले हुई थी। उनके पिता किसान हैं और भाई मजदूरी करता है। इस भयानक नक्सली हमले में भंडारा जिले के भी तीन जवान शहीद हुए हैं। इन शहीदों में भूपेश पांडुरंग, दयानंद भाऊ शहारे और नितिन तिलकचंद घोरमारे शामिल हैं। तीनों जवानों की शहादत की खबर से इलाके में शोक का माहौल है।
शहीद हुए तीनों जवानों में लखानी के रहने वाले भूपेश पांडुरंग वालोदे , लाखांदुर तहसील के बड़ी दिघोरी निवासी दयानंद भाऊ शहारे और सकोली के रहने वाले नितिन तिलकचंद घोरमारे हैं। शहीद भूपेश के परिवार में बूढ़े पिता-माता, पैरालिसिस से ग्रस्त छोटा भाई, विधवा बहन, पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। बताया जा रहा है कि भूपेश का आठ दिनों बाद भंडारा जिला मुख्यालय में ट्रांसफर होने वाला था। उल्लेखनीय है कि 1 मई को गढ़चिरौली में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर पुलिस के वाहन को उड़ा दिया था। इस हमले में 15 जवान और एक ड्राइवर शहीद हो गए। सूचना के मुताबिक दो गाड़ियों में करीब 25 जवान सवार थे। दोनों गाड़ियां पेट्रोलिंग के लिए निकली थीं।
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इसी दौरान नक्सलियों ने घात लगाकर आईईडी ब्लास्ट किया। जानकारी के मुताबिक, गाड़ी चला रहे ड्राइवर की भी इस हमले में मौत हो गई। इससे पहले कुरखेड़ा तहसील के दादापुरा गांव में नक्सलियों ने 36 वाहनों को आग लगा दी थी। इसके बाद क्विक रिस्पॉन्स टीम के कमांडो घटनास्थल के लिए रवाना हुए थे। ये कमांडो नक्सलियों का पीछा करते हुए जंबुखेड़ा गांव की एक पुलिया पर पहुंचे थे, तभी नक्सलियों ने विस्फोट कर दिया। गढ़चिरौली में यह धमाका घने जंगलों के बीच हुआ। हमला काफी खतरनाक था। जवान प्राइवेट जीप से सफ़र कर रहे थे। शहीद हुए जवान पुलिस की सी-60 फोर्स के कमांडो थे।
जिस आईईडी की मदद से नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया था उसमें 30 किलोग्राम औद्योगिक श्रेणी का विस्फोटक और जिलेटिन की छड़ों का इस्तेमाल किया गया था। इस विस्फोटक को एक पुलिया के नीचे लगाया गया था। जिसकी चपेट में क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी) का वाहन आ गया और 15 जवान शहीद हो गए। पुलिस का कहना है कि पुलिया के नीचे लगाए गए इस विस्फोटक को एक तार के जरिए ट्रिगर से जोड़ा गया था। जब क्यूआरटी का वाहन यहां से गुजरा उसी समय बटन दबाकर विस्फोट किया गया। इस हमले के बाद सुरक्षाबलों ने महाराष्ट्र और आस-पास के इलाकों में पहरे कड़े कर दिए हैं। नक्सलियों के धर-पकड़ के लिए जोर-शोर से तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
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