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शहीद की अंतिम विदाई के समय रो पड़ा पूरा गांव, जवान के बेटे ने खाई कसम- ‘सरकार ले बदला, नहीं तो मैं नक्सलियों को चुन-चुन कर मारूंगा’

शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले… वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशां होगा। कुछ यही हाल है झारखंड के गुमला के कटिंबा गांव का। जहां एक घर के दरवाजे की चौखट पर राह तकती एक बेटे की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। क्योंकि उसका पिता मंगलवार को नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट में वीरगति को प्राप्त हो गया। शहीद जवान दुलेश्वर परास (Martyred Duleshwar Paras) को उसके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस खास मौके पर पहुंचे हर आंखों में गम, गुस्सा और गर्व भरा हुआ था।  

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जवान दुलेश्वर परास (Martyred Duleshwar Paras) की तैनाती लोहरदगा जिले के सेरेंगदाग थाने में थी। वो एंटी नक्सल अभियान के तहत पास के ही दुंदरु जंगल में सघन जांच दल के सदस्य के तौर पर शामिल हुये थे। इसी दौरान नक्सलियों के एक आईईडी ब्लास्ट में वो बुरी तरह घायल हो गये। जिसके बाद इलाज के लिए उन्हें फौरन हेलीकॉप्टर से रांची ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई। दुलेश्वर कटिंबा गांव निवासी दशरथ परास का पुत्र थे और 2012 में 5 नवंबर को सैट-3 में शामिल हुये थे।

जिला पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ स्थानीय नेताओं से लेकर हजारों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने नम आंखों से अपने शहीद जवान (Martyred Duleshwar Paras) को अंतिम विदाई दी। शहीद के पार्थिव शरीर को पहले तो रांची से गुमला के पुलिस लाइन लाया गया फिर यहां सड़क मार्ग से ही उसके पैतृक गांव कटिंबा पहुंचा गया। इस दौरान जहां-जहां से भी शहीद का काफिला गुजरा, वो पूरा इलाका दुलेश्वर परास अमर रहे, अमर रहे के नारों से गूंज उठा। जैसे ही मां भारती के इस लाल का शरीर उसके घर पहुंचा, वैसे ही अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।

इस बीच शहीद (Martyred Duleshwar Paras) के घरवालों का रो-रो कर बुरा हाल था। शहीद का बेटा सत्यम कुमार ने तो सरकार से नक्सलियों के खात्मे की गुहार लगाई और कहा कि यदि सरकार मेरे पिता की शहादत का बदला नहीं लेगी तो मैं बड़ा होकर आर्मी ज्वाइन करूंगा और इन देशद्रोहियों को चुन-चुनकर मारूंगा। मैं एक भी नक्सली को जिंदा नहीं छोडूंगा, क्योंकि मेरे पिता बहुत अच्छे इंसान थे। उनकी कमी हमारे जिंदगी में हमेशा खलेगी। मैं बड़ा होकर उनके जैसा ही बनूंगा।

शहीद की 12 साल की बेटी सत्यवती का रो-रो कर बुरा हाल था। वो पुलिस अधिकारी के शरीर से लिपटकर रोते हुये बार-बार यही पूछ रही थी कि पापा को क्या हुआ है, वो उठ क्यों नहीं रहे, मैं उनसे आखिरी बार बात करना चाहती हूं। इस बीच शहीद की पत्नी रेखा और बहन प्यारी देवी, रुनिया, कलिस्ता और दिलमति के आंसू भी रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। परिजनों ने प्रशासन से संकट की इस घड़ी में मदद करने की गुहार लगाई।

Rekha Devi, wife of Martyred Duleshwar Paras

वहीं पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा ने बताया कि राज्य सरकार की वेलफेयर पॉलिसी के तहत शहीद जवान दुलेश्वर परास (Martyred Duleshwar Paras) के आश्रितों को बीमा की राशि 45 लाख और 25 लाख रुपये अनुग्रह राशि दिया जायेगा। इसके अलावा शेष बची सेवाकाल में मिलने वाली राशि का एकमुश्त भुगतान किया जाएगा। इस तरह से शहीद के आश्रित को करीब एक करोड़ रुपये दिये जायेंगे। साथ ही शहीद के एक आश्रित को सरकारी नौकरी भी दी जायेगी।