“शादी के बारे में बात करने के लिए मैं अगले महीने घर जरूर आउंगा।” नागसेप्पम मनोरंजन सिंह ने अपनी मां मेम्चा देवी से यह वादा किया था। उनकी मां उनके लौटने का इंतजार कर रही थीं। वह लौटकर तो आए पर तिरंगे में लिपटे हुए। मनोरंजन सिंह छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में CRPF के कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन (कोबरा) में सहायक कमांडेंट के पद पर तैनात थे।
17 सितंबर, 2009 को मनोरंजन दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों के खिलाफ एक ऑपरेशन के लीडर थे। ऑपरेशन का नाम था ‘ऑपरेशन ग्रीन हंट’। इस ऑपरेशन में उनकी टीम ने माओवादियों के मांद में घुसकर उनके बंदूक बनाने वाले कारखाने को तबाह कर दिया था। इसके अलावा 24 नक्सलियों को मार गिराया था और एक दर्जन से अधिक बंदूक और ग्रेनेड भी जब्त कर लिए थे। इस सफल ऑपरेशन के बाद 18 सितंबर को वे टीम के साथ लौट रहे थे कि रास्ते में चिंतागुफा पुलिस स्टेशन के सिंगनमादु के पास घने जंगलों में घात लगाए बैठे नक्सलियों ने उन पर हमला कर दिया।
दोनों ओर से भयंकर मुठभेड़ हुई। नक्सलियों की संख्या बहुत अधिक थी और उनके पास भारी मात्रा में आधुनिक हथियार भी थे। गोलीबारी में उनके कई साथी घायल हो गए। सिंह को लगा कि वे लोग बुरी तरह घिर चुके हैं। उन्होंने दुश्मनों का ध्यान भटकाने की कोशिश की। ऐसा करने पर नक्सलियों ने उनकी ओर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। अपने घायल साथियों की जान बचाने के लिए उस वीर ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। एक अधिकारी के अनुसार, यह कोबरा द्वारा नक्सलियों के खिलाफ किया गया सबसे बड़ा ऑपरेशन था।
1979 में जन्मे इम्फाल के युरेम्बम गांव के श्री सिंह 2007 में सीआरपीएफ के 38 बैच में डीएजीओ के रूप में शामिल हुए थे और बाद में वे सीआरपीएफ की ‘कोबरा’ इकाई के 201 कॉम्बैट बटालियन में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में नियुक्त किए गए। वे स्वर्गीय बुद्धचंद्र सिंह और मेम्चा देवी के इकलौते पुत्र थे। डर उनकी डिक्शनरी में नहीं था। उन्होंने कभी किसी असाइनमेंट के लिए ना नहीं कहा।